कैसे जलालुद्दीन हक्‍कानी का नेटवर्क दुश्मन के लिए सिरदर्द बन गया था

तालिबान ने हाल ही घोषणा की थी कि वास्तव में जलालुद्दीन हक्कानी मर चुका है। बता दें कि 2015 में भी जलालुद्दीन हक्कानी की मौत की खबर आई थी लेकिन उस वक्‍त हक्‍कानी नेटवर्क ने इन खबरों का खंडन किया था।

हक्कानी नेटवर्क के संस्थापक जलालुद्दीन हक्कानी की मौत की खबर ने अमेरिका को जरूर राहत दी होगी। उसके सहयोगी संगठन अफगान तालिबान ने सक्रिय आतंकवादी गुटों में से एक हक्कानी नेटवर्क के नेता की मौत की घोषणा की है।

फिलहाल उसका बेटा सिराजुद्दीन हक्कानी इस समूह का प्रमुख है। मौजूदा समय में वही तालिबान का डिप्‍टी लीडर भी है। दरअसल, जलालुद्दीन अफगान मुजाहिद्दीन का कमांडर था जो 1980 में अफगानिस्तान के सोवियत संघ के खिलाफ अमेरिका और पाकिस्तान की मदद से लड़ता था।

इसी दौर में अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए का ध्यान भी उसकी तरफ गया था। इसके बाद इनका गठजोड़ बढ़ता ही चला गया। इतना ही नहीं अमेरिकी कांग्रेसमैन चार्ली विल्सन ने भी उससे एक बार निजी तौर पर मुलाकात की थी। जलालुद्दीन तालिबान के कब्‍जे वाले इलाके का मंत्री भी था।

हक्‍कानी नेटवर्क को जिस तरह से अमेरिका से बढ़त मिली उसकी वजह से ही हक्‍कानी नेटवर्क एक ऐसी मजबूत समानांतर व्‍यवस्‍था चलाने के काबिल हो चुका था जिसका प्रमुख काम आतंकियों की धन और हथियार से मदद करना होता था।

यहां तक की दुनिया के किसी भी कोने में वह हथियारों की सप्‍लाई करने में अहम भूमिका निभाता था। यही वजह थी कि जिसको कभी अमेरिका ने अपने हक में इस्‍तेमाल किया था वह बाद में उसके खिलाफ हो गया और अमेरिका के लिए सिरदर्द बन गया।

हक्कानी नेटवर्क का गठन जलालुद्दीन हक्कानी ने किया था जिसने अफगानिस्तान में 1980 के दशक में सोवियत फौजों से जंग लड़ी थी। उस समय मुजाहिदीन को अमेरिका का समर्थन हासिल था।

1995 में हक्कानी नेटवर्क तालिबान के साथ मिल गया और दोनों गुटों ने अफगान राजधानी काबुल पर 1996 में कब्जा कर लिया। 2012 में अमेरिका ने इस गुट को आतंकवादी संगठन घोषित किया।