हैदराबाद। काला हिरण शिकार मामले में सलमान खान को दोषी करार देने में एक डीएनए रिपोर्ट की अहम भूमिका रही जिसके कारण ही सलमान कानून के शिकंजे में आए और उन्हें दोषी ठहराया गया। बता दें कि इसके लिए एक डीएनए और फिंगरप्रिंटिंग एक्सपर्ट ने काले हिरण के सैंपल्स की जांच की थी, जिससे जरूरी सबूत जुटाए जा सकें।
हैदराबाद के सेंटर फॉर डीएनए फिंगरप्रिंटिंग ऐंड डायगनॉस्टिक्स सेंटर की लैब में किए गए टेस्ट ने सलमान को दोषी साबित करने में महत्वपूर्ण सबूत का काम किया। जोधपुर से लाए गए मृत काले हिरण के सैंपल्स की जांच एक्सपर्ट जीवी राव ने की थी। राव ने यह रिपोर्ट 2015 में सौंपी थी। हालांकि, अब वह रिटायर हो चुके हैं।
टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में जीवी राव ने बताया, ‘यह घटना 1998 में हुई थी। उस समय के सहायक वन संरक्षक ललित के बोरा ने मामले की गहनता से जांच की थी। वह काले हिरण के दफनाए जाने के बाद उसकी हड्डियां और अन्य सैंपल्स खोदकर लाए। हमने जांच में पाया कि यह सैंपल्स काले हिरण के ही थे।’
उन्होंने आगे कहा, ‘2015 में मैंने रिपोर्ट जमा की तो पूरी व्याख्या की थी कि जांच किस प्रकार की गई और इसकी क्या प्रक्रिया थी। दोबारा जांच में भी यही पाया गया कि सैंपल्स काले हिरण के ही थे। मैं खुश हूं कि अंत में कोर्ट ने सलमान को सजा दी है।’ उनकी टीम ने 1999 में काले हिरण की पहचान की तकनीक विकसित की थी। इसी की मदद से उन्होंने इन सैंपल्स की जांच की।
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