“मैं हिंदू हूँ और शर्म से मुसलमानों के सामने सर झुकाए खड़ा हूँ”

पाकिस्तान के दरवेशपुरा में अखिल शर्मा नाम के एक हिंदू व्यापारी को वहां के मुसलमान लड़कों ने घर में घुसकर मार डाला। पाकिस्तान की अदालत ने सभी हत्यारों को बाइज्जत बरी कर दिया।

किसी हिंदू की हिम्मत ही नहीं हुई कि वह खुलकर इन हत्यारों के खिलाफ गवाही दे पाता। आज खबर आई है कि पाकिस्तान की सरकार अखिल शर्मा के सभी हत्यारों को सरकारी नौकरी देकर उनका हौसला बढ़ाएगी।

Facebook पे हमारे पेज को लाइक करने के लिए क्लिक करिये

जब से मैंने यह खबर सुनी तब से मैं बहुत परेशान हूं, कि आखिर कोई सरकार इतनी बदमाश कैसे हो सकती है? कैसे किसी के हत्यारे को छोड़ सकती है और वहां के मुसलमान इतने क्रूर कैसे हो सकते हैं कि वह एक हिंदू की हत्या करने वाले लोगों को इज्जत दें?

लेकिन यह खबर पाकिस्तान की नहीं है। बल्कि यह कहानी भारत की है। दरवेशपुरा असल में दादरी है। और अखिल शर्मा असल में अखलाक है। और वह जो हत्यारे हैं वह मुसलमान नहीं हिंदू हैं, और उन्हें नौकरी पाकिस्तान की सरकार नहीं बल्कि भारत की सरकार दे रही है, और इन हत्यारों की इज्जत पाकिस्तान के मुसलमान नहीं भारत के हिंदू कर रहे हैं।

क्या अब आप को भारत की सरकार पर गुस्सा आ रहा है? क्या भाजपा के नेताओं पर गुस्सा आ रहा है? और क्या आप को खुद पर गुस्सा आ रहा है? अगर नहीं आ रहा तो फिर आपको पाकिस्तान की आलोचना करने का कोई अधिकार नहीं है। आखिर भाजपा इस देश को क्या बांटना चाहती है? क्या भाजपा इस देश के नौजवानों को हत्यारा बनाना चाहती है?

नौजवानों को रोज़गार ना देकर उन्हें बेरोजगार बना दिया गया, और अब बेरोजगार नौजवानों को मुसलमानों की हत्याएं करने के काम में लगा दिया गया है, और अब बीजेपी सरकार हत्या करने वाले नौजवानों को इनाम के तौर पर सरकारी नौकरियों से नवाज रही है। मैं शर्म गुस्से और ग्लानि से भरा हुआ हूं। मैं देश के सभी मुसलमानों के सामने शर्म से सर झुकाए खड़ा हूं।

हम अपने साथ रहने वाले इंसानों को घरों में घुसकर मार रहे हैं। ट्रेन में उनके मजहब की वजह से चाकुओं से गोद रहे हैं। यूनिवर्सिटी से खींच कर उन्हें गायब कर दे रहे हैं जैसे नजीब को किया गया। बूढ़े मुस्लिम गायक को पीटकर इसलिए मार दे रहे हैं क्योंकि हमें उसका गाना पसंद नहीं आया, और उसकी हत्या के खिलाफ अदालत में गवाही देने आने वाली महिला को अदालत के सामने गाड़ी से कुचलकर मार दे रहे हैं।

शायद आपको लगता होगा इससे आप बहुत बहादुर साबित हो रहे हैं। माफ कीजिए असल में आप क्रूर और असभ्य साबित हो रहे हैं, और मेरी यह धारणा पक्की होती जा रही है कि मैंने जिस धर्म में जन्म लिया है वह शुरू से ही क्रूर और हिंसक है। मैं अपने खुद के मजहब की तलाश में हूं। मैं इस तरह की राजनीति, इस सभ्यता और इस परंपरा से खुद को अलग करता हूं।

(साभार- हिमांशु कुमार)