मैं अपने लेख के लिए माफी नहीं मांगूंगी: तस्लीमा नसरीन

मौत की धमकियों का सामना करने और कई दशकों तक निर्वासन में रह चुकी हैं विवादित लेखिका तसलीमा नसरीन ने कहा, “मैं अपने लेखन के लिए माफ़ी नहीं  मांगूंगी,”  द हिंदू लिट फॉर लाइफ फेस्टिवल में  सभागार से बोलते हुए, उन्होंने कहा  कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता लोकतंत्र के लिए आवश्यक है और वह इस तथ्य से आहत है कि बांग्लादेश में “तथाकथित लोकतंत्र” के तहत न केवल वह 24 साल के लिए निर्वासन में रह रही  और हमारी किताबें खास कर लज्जा पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। उन्हने कहा कि मैं वह लिखती हूं, जो मुझे सही व सच लगता है। लेकिन, जो आजादी, मानवाधिकार और लोकतंत्र के खिलाफ हैं, उ ही मुश्किल होती है।
दरअसल मेरी लड़ाई किसी मजहब के खिलाफ है ही नहीं। यह लड़ाई स्वतंत्रता बनाम परतंत्रता, धर्मनिरपेक्षता बनाम धर्मांधता, मानवीयता बनाम अमानवीयता की लड़ाई है। सभी सभ्यताएं और धर्म, आलोचनाओं की राह से गुजरने केबाद ही प्रकाशमान होते हैं। आलोचना और विश्लेषण से बचाकर किसी का भी पुनर्जागरण नहीं होता।