मॉब लिंचिंग पर सख्ती के लिए टीवी पर चैनलों को दिया गया निर्देश!

सरकार ने प्राइवेट टीवी चैनलों को मॉब लिंचिंग से जुड़ी चेतावनी आदेश दिया है. सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने सभी प्राइवेट टीवी चैनलों से स्क्रीन पर नीचे एक पट्टी चलाने का अनुरोध किया है. इस पट्टी पर लिखा होगा कि भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या करने और भीड़ हिंसा के कानून के तहत गंभीर परिणाम होंगे.

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने जुलाई में आदेश दिया था कि केंद्र और राज्य सरकारें रेडियो, टेलीविजन और राज्यों की पुलिस तथा गृह विभाग की आधिकारिक वेबसाइटों सहित अन्य मीडिया मंचों पर प्रसारित करें कि भीड़ द्वारा हत्या और किसी भी तरह की हिंसा के कानून के तहत गंभीर परिणाम होंगे.

मंत्रालय ने चैनलों को भेजे पत्र में कहा है कि दूरदर्शन इस फैसले को पहले ही लागू कर चुका है, सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पहुंच का दायर बढाने के लिए यह सलाह दी जाती है कि प्राइवेट टीवी चैनल जनहित में दो संदेशों की पट्टी स्क्रीन पर चला सकते हैं.

स्क्रीन पर चलने वाले संदेशों में लिखा होगा कि भीड़ द्वारा हिंसा और पीट-पीटकर हत्या जघन्य अपराध है और कानून के तहत इसके गंभीर परिणाम होंगे. भीड़ द्वारा हिंसा और हत्या एक गंभीर अपराध है और इसमें कानून के तहत कड़ी सजा होगी.

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों से कहा कि वे गौ रक्षा के नाम पर हिंसा और भीड़ द्वारा हत्या की घटनाओं पर अंकुश के लिये उसके निर्देशों पर अमल किया जाये और लोगों को इस बात का अहसास होना चाहिए की ऐसी घटनाओं पर उन्हें कानून के कोप का सामना करना पड़ेगा.

गौरक्षकों की हिंसा और मॉब लिंचिंग पर सख्ती बरतें राज्य
सीजेआई दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति डीवाई चन्द्रचूड़ की पीठ ने इस तथ्य का संज्ञान लिया कि उसके 17 जुलाई के फैसले में दिये गये निर्देशों पर अमल के बारे में दिल्ली, अरुणालय प्रदेश, मिजोरम, तेलंगाना और मेघालय सहित आठ राज्यों को अभी अपनी रिपोर्ट दाखिल करनी है.

इस फैसले में कोर्ट ने स्वंयभू गो रक्षकों की हिंसा और भीड़ द्वारा लोगों को पीट कर मार डालने की घटनाओं से सख्ती से निबटने के बारे में निर्देश दिये गये थे.