बगैर मुसलमानों के हिन्दू राष्ट्र नहीं- मोहन भागवत

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक मोहन भागवत ने मंगलवार को कहा कि ‘हिंदू राष्ट्र’ का अर्थ यह नहीं है कि यहां मुस्लिमों के लिए कोई जगह नहीं है और यह अवधारणा सभी आस्थाओं और धर्मों के लिए समावेशी है.

भागवत ने कहा,‘संघ सार्वभौमिक भाइचारे की दिशा में काम करता है और इस भाइचारे का मूलभूत सिद्धांत विविधता में एकता है. यह विचार हमारी संस्कृति से आता है जिसे दुनिया हिंदुत्व कहती है. इसलिए हम इसे हिंदू राष्ट्र कहते हैं.’

संघ की विचारधारा को सभी को साथ में लेकर चलने वाला बताते हुए उन्होंने कहा,‘हिंदू राष्ट्र का यह मतलब नहीं है कि उसमें मुस्लिमों के लिए कोई जगह नहीं है. जिस दिन ऐसा कहा जाएगा, तो यह हिंदुत्व नहीं रहेगा. हिंदुत्व वसुधैव कुटुंबकम की बात करता है.’

उन्होंने यहां संघ की तीन दिवसीय व्याख्यानमाला के दूसरे दिन कहा कि हिंदुत्व भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों का सारतत्व है और इसका उद्देश्य विभिन्न आस्थाओं ओर विचारों के लोगों के बीच बंधुत्व की भावना को मजबूत करता है.

संघ प्रमुख ने कहा कि बी आर अंबेडकर ने संविधान सभा में अपने एक भाषण में विश्व बंधुत्व की बात की थी और देशवासियों के बीच भाइचारे को बढ़ावा देने पर जोर दिया था. उन्होंने कहा कि अंबेडकर ने लोगों की मर्यादा और देश की अखंडता भी सुनिश्चित करने की बात कही थी.

भागवत ने कहा कि हिंदुत्व ‘भारतीय’ की अवधारणा के समानार्थी है जो सभी भारतीयों को परिभाषित करता है और विविधता में एकता को झलकाता है. उन्होंने कहा कि संघ सर्वे भवंतु सुखिन: की अवधारणा में विश्वास करता है. हमें कोई एक भाषा या भगवान नहीं बांधते.