PM मोदी की एक आवाज़ पर ‘नोटबंदी’ हो सकती है तो ‘गुंडाबंदी’ क्यों नहीं?

देश के विभिन्न कोनों में भीड़ के नाम पर हो रही आतंक के खिलाफ आवाजें उठने लगी हैं। राजधानी दिल्ली में जंतर-मंतर पर पहले “नॉट इन माई नेम” नामक अभियान चलाया गया जिसके माध्यम से गाय के नाम पर भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हो रहे हत्या के खिलाफ लोग जमा हुए।

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कल दिल्ली के जंतर-मंतर पर फिर से उसी हिंसक भीड़ के खिलाफ लो इकठ्ठा हुए। गौ रक्षा के नाम पर खून बहाए जाने के खिलाफ मशहूर शायर इमरान प्रताप गढ़ी द्वारा सोशल मीडिया के जरिये बुलाए गए विरोध प्रदर्शन में एक बार फिर लोग जंतर-मंतर पर एकत्र हुए, जहां उनकी जुबान में एक ही संदेश था “लहू बोल रहा है”।

जनतर मंतर पर इस विरोध प्रदर्शन में शामिल आरिफ ने कहा कि प्रधानमंत्री से कहना चाहते हैं कि हम भी भारतीय हैं। उनकी एक आवाज पर ‘नोटबंदी’ हो सकती है तो उनकी एक आवाज पर क्या गोरक्षक नहीं मान सकते? .

यह प्रदर्शन अपने आप में अद्वितीय था। एक ओर इमरान प्रताप गढ़ी की तीखी कविता खूनी गिरोह के खिलाफ आवाज उठा रहे थे, तो दूसरी ओर इस आंदोलन में शामिल युवा इसी जंतर-मंतर के एक कोने में रक्तदान कर रहे थे। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि नफरत के नाम पर खून क्यों बहाया जा रहा है, जबकि यह खुन देश के किसान और युवा के काम आ सकता है। इस रक्तदान का मकसद मज़हब के नाम पर बहते रक्तस्राव को रोकने का था।