नई दिल्ली: केन्द्रीय मंत्री सुरेश प्रभु ने विश्व आर्थिक सम्मेलन में कहा कि भारत सरकार धर्म की बुनियाद पर भेदभाव नहीं करती और सभी नागरिकों को समान अधिकार प्राप्त है। ‘दुनियां में भारत का किरदार’ जे विषय पर प्रभु ने इस बात पर जोर दिया कि आर्थिक विकास से हर किसी को फायदा उठाना चाहिए।
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उन्होंने कहा कि अगर सरकार किसी खास समुदाय के खिलाफ होती तो तीन तलाक बिल क्यों लाती? सुरेश प्रभु ने कहा कि हम मुसलमानों के खिलाफ होते तो हम संसद में तीन तलाक बिल लाने बारे में सोचते भी नहीं। अगर आप मुसलमानों के बारे में बात करते हैं तो वह 14 फीसद आबादी की बात होती है।
इस में 7 फीसद महिलाएं हैं, अगर हम किसी भी समुदाय के खिलाफ होते तो एक अच्छी खासी आबादी को अपने से दूर करने की कीमत पर भी महिलाओं को सुरक्षा देने वाला इस तरह का बिल क्यों लाते?
सुरेश प्रभु ने आगे कहा कि हम किसी भी धर्म को चुनाव के समय इस्तेमाल करने के बारे में नहीं सोचते। हम इस चीज़ में यकीन नहीं करते कि लोगों का एक खास वर्ग हमारे लिए ही वोट करे। सेशन की अध्यक्षता कर रहे अमेरिकी पत्रकार फरीद ज़करिया के यह पूछने पर कि क्या भारतीय जनता पार्टी ने भारतीय मुसलमानों को चुनाव में फायदा के लिए हाशिया पर डाल दिया है।
प्रभु ने कहा कि मैं यह कहना चाहूँगा कि यह पहली सरकार है जो धर्म की बुनियाद पर लोगों के बीच फर्क नहीं करती। हम इस बात में यकीन रखते हैं कि देश के सभी नागरिकों को बराबर के अधिकार प्राप्त हों।