लखनऊ: भारतीय जनता पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं से हटकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ रमजान के मौक़े पर किसी इफ्तार पार्टी का आयोजन नहीं करने जा रहे हैं। 1974 के बाद ऐसा दूसरी बार होगा जब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री निवास पर इफ्तार पार्टी का आयोजन नहीं किया जाएगा। इससे पहले राम प्रकाश गुप्ता के मुख्यमंत्री रहते हुए भी इफ्तार पार्टी का आयोजन नहीं किया गया था।
न्यूज़ नेटवर्क समूह न्यूज़ 18 ने अंग्रेजी अखबार हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के हवाले से खबर दी है कि एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री निवास पर शायद ही किसी इफ्तार पार्टी का आयोजन करें। योगी आदित्यनाथ गोरखनाथ मंदिर के महंत भी हैं, उन्होंने कभी इफ्तार पार्टी आयोजित नहीं की है। हालांकि वह नवरात्र के दौरान पूरे रस्मो रिवाज के साथ बर्थ रखते हैं और मुख्यमंत्री बनने के बाद भी उन्होंने इस परंपरा को नहीं छोड़ा था।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहते हुए भाजपा नेता कल्याण सिंह और राजनाथ सिंह भी रमजान के पवित्र महीने में अल्पसंख्यकों तक अपनी पहुंच बढ़ाने के लिए इफ्तार पार्टी का आयोजन किया करते थे। उत्तर प्रदेश में 1974 में हेम्वावति नंदन बहुगुणा के दौर से इफ्तार पार्टी का आयोजन किया जाता है। लेकिन इस बार शायद ही पार्टी का आयोजन किया जाए। कल्याण सिंह और राजनाथ सिंह के अलावा पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जैसे नेता भी इफ्तार पार्टी दिया करते थे। हालांकि प्रधानमंत्री मोदी ने ऐसा नहीं किया। माना जा रहा है कि योगी भी उन्हीं के नक्शेकदम पर चल रहे हैं।
उधर मुस्लिम नेताओं ने इफ्तार पार्टी आयोजित नहीं करने के निर्णय को योगी की राजनीति का हिस्सा करार दिया है। लखनऊ ईदगाह के इमाम और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने कहा कि इफ्तार की दावत का आयोजन एक परंपरा है जिसे केवल भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में और यहाँ तक कि व्हाइट हाउस में भी निभाई जाती है। यहां तक कि भाजपा नेता कल्याण सिंह और राजनाथ सिंह भी मुख्यमंत्री रहते इसका आयोजन करते थे। मुख्यमंत्री निवास पर इफ्तार पार्टी न करने का फैसला देश की धर्मनिरपेक्षता को प्रभावित करेगा।