नई दिल्ली: देश के सबसे प्रतिष्ठित मीडिया संस्थान,आईआईएमसी से पिछले दिनों पोर्टल पर लिखने के कारण पत्रकारिता के छात्र रोहिण को सस्पेंड किये जाने से आहत छात्र की मां ने संस्थान के डायरेक्टर के नाम चिट्ठी लिखकर खरी-खरी सुनाई हैं. सस्पेंशन की चिट्ठी छात्र को थमाने के साथ-साथ उसके घरवालों को भी भेज दिया था. इसी के जवाब में रोहिण की मां ने हस्तलिखित चिट्ठी भेजी है.
नेशनल दस्तक के अनुसार, अपने बेटे पर भरोसा जताते हुए छात्र की मां ने अपने पत्र में जो लिखा है उसे पढ़ा जाना चाहिए. रोहिण की मां की चिट्ठी को पढ़ते हुए आपकी आँखों के सामने रोहित वेमुला और नजीब की मांओं की याद ताज़ा हो जाएगी. वर्तमान आर्थिक असुरक्षा के माहौल में ऐसे संस्थानों में पढ़ने वाले ज़्यादातर मध्यमवर्गीय परिवारों से आए छात्र-छात्राओं को जहां अपने करियर बनाने-चमकाने की ही बचपन से नसीहत दी जाती हो. वैसे परिवेश में इस मां के जज्बे को सैल्यूट.
रोहिण की मां की चिट्ठी के अंश हम प्रस्तुत कर रहे हैं-
सेवा में,
डाइरेक्टर जनरल
आई.आई.एम.सी., दिल्ली
विषय : रोहिण कुमार को अनिश्चितकालीन सस्पेंड करने के संबंध में.
महाशय,
यह जानकार बहुत ही आश्चर्य हुआ कि इतने बड़े संस्थान आई.आई.एम.सी. के डाइरेक्टर जनरल एक पत्रकारिता के स्टूडेंट को अपने लिखने की आजादी पर सस्पेंड करते हैं. सर मेरे बच्चे ने तो काफी तैयारी आपके संस्थान में पढ़ने के लिए की थी, आपके संस्थान में आने के पहले से लिखता रहा है. सर आप अपने पद को अपने व्यक्तित्व के आधार पर चला सकते हैं. आपको उसके सभी आर्टिकल को अच्छी तरह पढ़ कर निष्कर्ष निकालते तो ज्यादा सुंदर बात बनती.
मुझे बच्चे पर गर्व है, वह मेरा नहीं पूरे समाज का बच्चा है, उसके अंदर बचपन से ही समर्पण, त्याग, क्षमा, धैर्य सभी गुण मौजूद है. ईश्वर साक्षी है, न्यायकर्ता है. सर आप आई.आई.एम.सी. को बचा लें, अन्यथा आगे बच्चे इस संस्थान में जाने से घबराएँगे. सही मायने में पत्रकारिता ही ऐसी जगह है, जहां सत्य बातों को सामने लाया जाय.
रोहिण जुझारू बच्चा रहा है, मुझसे भी हमेशा वाद-विवाद करता रहा है, लेकिन सर बच्चों को गलत नहीं पिलाया जा सकता है. खैर संघर्ष ही जीवन है, यह कटु सत्य है. सर मैं भी प्रशिक्षण केंद्र की प्राचार्या हूँ, जहां सिखाने एवं सीखने की प्रक्रिया चलती रहती है. शांत मन से सोचने पर ही सही निर्णय निकलता है. मैं आई.आई.एम.सी. के शिक्षकों से गुजारिश करती हूँ, जो बातें कक्षा में उन्होंने पढ़ाई है, उनके साथ न्याय करें ताकि छात्रों की नजर में आपकी विश्वसनीयता कम न हो.
सर आप इसके भविष्य के साथ अच्छा करने का प्रयास करें. सस्पेंश्न वापस लें, संस्थान की गरिमा बनी रहेगी. आज सिर्फ बतौर मां नहीं एक पाठक के नाते भी लिख रही हूँ, पत्रकार को तो पत्रकारिता ही करनी है न कि कठपुतली बनना है. सर आप जल्दबाज़ी में उसका सही नाम ‘रोहिण कुमार’ भी नहीं लिख पाये.
अतः आपसे विनती है कि उसका सस्पेंशन वापस लें. मैं आपके संस्थान के उज्ज्वल भविष्य की कामना करती हूँ.
भवदीय
रोहिण की मां
गया, बिहार