IIT में चुने गए गरीब मजदूर बाप के दो बेटे

लखनऊ: अक्ल किसी वसाएल की मोहताज नहीं होती। यह सच कर दिखाया है उत्तर प्रदेश में प्रतापगढ के लालगंज इलाके के रहने वाले दो सगे भाइयों ने। रौवा गांव के बृजेश और राजू की पढाई के तईन लामहदूद लगन को देख उनके मेहनतकश मजदूर वालिद ने इस कदर जोश भरा कि वे आज मुल्क के सबसे मशहूर आईआईटी की चाहरदिवारी लांघने में कामयाब हो गए है।

अक्लमंद भाइयों ने कहा कि उनके वालिद मामूली मजदूर हैं और बमुश्किल 10-12 हजार रूपये महीने ही कमा पाते हैं। मगर उन्होंने पढाई का जज्बा इस कदर भरा कि वे आज आईआईटी की Entrance examination में पास हो सके हैं। बृजेश ने कहा कि उसे रूडकी, खडगपुर और गुवाहाटी में इलेक्ट्रानिक्स या कम्प्यूटर साइन्स ट्रेंड में दाखिला मिलने की उम्मीद है जबकि उसके भाई को दिल्ली, मद्रास या कानपुर में किसी भी ट्रेंड में दाखिला मिल जाएगा क्योंकि उसे बेहतर प्वाइंट्स यानी मार्क्स मिले हैं।

दोनों भाइयों की कामयाबी से खुश कांग्रेस नायब सदर राहुल गांधी ने भी दोनों को मुबारकबादी दी है। आईआईटी की Entrance examination को पास करने के बाद राहुल गांधी से मुबारकबादी से खुश दोनो भाइयों ने कहा कि उन्होंने उनको यकीन दिया है कि जरूरत पडने पर वह हर वक्त उनकी मदद के लिये तैयार हैं।

बृजेश ने कहा कि राहुल गांधी ने आज उससे और उसके भाई से फोन पर बात की है। गरीबी के बावजूद आईआईटी में चुने जाने के लिए मुबारकबादी और नेक खाहिशात दी हैं।

आईआईटी में सलेक्टेड भाइयों ने बताया कि उनके वालिद के पास उनकी फीस जमा कराने के लिए एक लाख रूपया भी नहीं है। यह बेहद मायूस है कि वे अपनी मेहनत से आईआईटी तक पहुंच गए लेकिन अब फीस जुटाना मुश्किल हो रहा है। हालांकि उन्होंने उम्मीद जताई कि जल्दी ही पैसों का इंतजाम हो जाएगा।

दोनों भाईयों ने बताया कि उनके घर में रेडियो और टीवी भी नहीं है। घर में लाइट का कनेक्शन भी गुजश्ता साल ही लिया है। यहीं नहीं घर के किसी भी रूकन ने आज तक पनीर की सब्जी नहीं खाई। लेकिन उन्हें जरूरी मालूमात कहीं न कहीं मिल जाती हैं।

दोनो भाइयों ने कहा कि पांच भाइयों और एक बहन में वह दूसरे नम्बर पर है। बडा भाई इलाहाबाद युनिवर्सिटी में मास्टर आफ साइन्स (एमएससी) में ज़ेर ए तालीम हैं जबकि उससे छोटे दो भाई और बहन इण्टर कालेज में पढ रहे हैं। वे तीनों भी पढने में काफी अच्छे हैं।

बृजेश का कहना है कि करीब पांच सौ खानदान वाले उसके गांव और आसपास कोई स्कूल नहीं है। उसे पढने के लिए पैदल ही दूर जाना पडता था। इण्टर में बेहतर नम्बर आने पर पटना की एक नामीगिरामी कोचिंग इदारा में दोनों भाइयों को दाखिला मिल गया और दोनों ही आईआईटी में चुन लिये गए।

वह कहता है कि अगर वह किसी लायक बना तो सबसे पहले अपने पिछडे इलाके में तालीमी इदारा खुलवाएगा ताकि पढने के लिए यहां के बच्चों को दूर भटकना न पड़ें।