दीपिका सिंह रजावत जब भी घर से बाहर जाती हैं तो मेन गेट को दो तीन बार चेक करती हैं. न सिर्फ दीपिका को अपनी जान का खतरा है बल्कि उनके पति और बेटी की जान को भी खतरा है. कठुआ में 8 साल की बच्ची के रेप और हत्या के केस को अपने हाथ में लेने के बाद से दीपिका और उनके परिवार की जिंदगी में ये बदलाव आया. चौबीस घंटे इसी तरह चौकन्ना रहना अब उनकी रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा है.
इसी साल जब दीपिका ने बताया कि कैसे रोजाना उन्हें सैंकड़ों रेप और हत्या की धमकियां मिल रही हैं तो उन्हें पुलिस सुरक्षा प्रदान की गई. इन धमकियों का असर इतना बुरा है कि जब से दीपिका ने ये केस अपने हाथ में लिया है उनके दिमाग में ये बात घूमती रहती है कि वो लोग ‘एक दिन उन्हें मार देंगे.’ केस हाथ में लिए दस महीने के बाद दीपिका ने न्यूज18 से बात की. उन्होंने बताया कि कैसे इस लड़ाई में वो अकेली खड़ी हैं.
दीपिका को डर है उन्हें या उनके परिवार पर कभी भी हमला किया जा सकता है. उन्हें ये भी लगता है कि उनके परिवार की इज्जत को तार तार करने के लिए भी कुछ किया जा सकता है. उन्हें डर लगा रहता है कि कभी भी कोई आकर उनके घर में नारकोटिक रख दे और उन्हें फंसा दे. इसलिए भी वो अपने घर के तालों, दरवाजों को भी बंद करने के बाद बार बार चेक करती हैं.
कठुआ कांड में सुप्रीम कोर्ट का दखल:
अब रजावत कोई अनजाना नाम नहीं हैं. जब भी वो ट्रायल कोर्ट जाती हैं तो पुलिस, वकील और याचिकाकर्ताओ की भीड़ उन्हें घूरती है. भौंचक होकर देखते हैं. साथ ही उनके पीछे फुसफुसाहट शुरु हो जाती है. न्यूजपेपर और टीवी में अब वो अक्सर दिखती हैं. तो लोग उन्हें अब पहचानने लगे हैं.
इसी साल की शुरुआत में कठुआ में 8 लोगों द्वारा आठ साल की एक बच्ची का गैंगरेप और फिर उसकी नृशंस हत्या कर दी गई थी. इस मामले के सामने आने पर लोगों ने जबरदस्त विरोध प्रदर्शन किया था. कुछ लोगों ने तो आरोपियों के समर्थन में विरोध प्रदर्शन किया था. इसमें खुद रजावत के कुछ सहकर्मी भी शामिल थे. साथ ही वकीलों ने चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट ऑफिस में केस दर्ज होने का भी विरोध किया. फिर जब सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सीबीआई जांच से मना कर दिया तो फिर इसे पठानकोट ट्रांसफर कर दिया गया था.