सेना में भर्ती होने वाले ‘चैनराम’ के सीने में शिवराज की पुलिस ने गोलियां दाग दीं: इमरान प्रतापगढ़ी

चैनराम की अभी 29 अप्रैल को शादी हुई थी, पत्नी के हाथों की मेंहदी तक नहीं सूखी थी, सिंदूर का रंग भी चटख लाल था, मंगलसूत्र में बसी विवाह की ख़ुश्बू तक मद्धम नहीं हुई थी।

चैनराम सेना में भर्ती होना चाहता था, सरहद की हिफ़ाज़त के लिए लड़ना चाहता था। तीन बार भर्ती में बैठ चुका था। ऑंख में कुछ कमी थी तो मेडिकल में छँट गया था, जिस सीने पर वो भारत की ओर आने वाली गोलियॉं झेलता, उसी सीने पर शिवराज की पुलिस की गोलियॉं लगीं और चैनराम मौत की नींद सो गया।

अभिषेक तो 12वीं का छात्र था, स्कूल जाता था, खेती किसानी करके परिवार का हाथ बँटाता था। अपनी ज़मीन पाने और फ़सल का वाजिब मूल्य पाने के लिये नारे लगा रहा था। शिवराज की पुलिस की गोलियों ने सीना छलनी कर दिया उसका भी।

सत्यनारायण दिहाडी मज़दूरी करके परिवार का पेट पालते थे। कन्हैयालाल किसानी करके अपने 16 साल और 11 साल के दो बच्चों के खाने पीने और पढाई के लिये पैसे जुटाते थे, बेरहमों की गोली ने जान ले ली दोनों की।

ये बातें सुनकर ज़ालिम फिरंगियों के दिन याद आ गये, ये ज़ुल्म एक एैसे मुख्यमंत्री की पुलिस ने किया जिसे पूरा मध्य प्रदेश प्यार से मामा कहता है।