इमरान प्रतापगढ़ी का ADG को खुला ख़त, सैफुल्लाह पर सवाल करने पर FIR न करें, उनका जवाब दें

सर, दलजीत चौधरी जी
ADG (Law and Order)

आप एक क़ाबिल अफ़सर हैं,ये बात मैं तब से जानता हूँ जब आप इलाहाबाद के IG हुआ करते थे!
आपकी एक सनसनीखेज पुलिसिया कार्यवाही पर जिस तरह देश के तमाम बौद्धिक लोग सवाल खड़ा कर रहे हैं, वो आपके लिये फिक्र की बात होनी चाहिये!

मैं ये नहीं कह रहा कि सैफुल्लाह सही था या ग़लत, आतंकवादी था या मासूम था।
बस पिछले 3 दिन से जिस तरह से आपकी सुनाई गई कहानी में लगातार नये-नये पेंच आये हैं वो आपकी पुलिसिया कहानी को हर दिन उलझाते जा रहे हैं! पहले ISIS का आतंकी होने की बात, फिर स्वप्रेरित आतंकी होने की बात, फिर चाकू, पिस्टल और कुछ झंडे मिलने की बात!

आप जैसे क़ाबिल पुलिस अफ़सर की ये कहानी जिस तरह से एक पूरे तबके के मन में अविश्वास पैदा कर रही है वो कम से कम प्रदेश की पुलिस के ‘इक़बाल’ के लिये तो अच्छा संकेत नहीं!

कार्यवाही की सुबह से जिस तरह से तमाम अमनपसंद लोगों ने इस एनकाउंटर को “चुनावी एनकाउंटर” कह कर आप लोगों की कहानी को झुठलाया है और रिहाई मंच ने जो सवाल खडे किये हैं वो सवाल आपको भी तो कचोट ही रहे होंगे।

आज बटला हाउस एनकाउंटर और आज़मगढ ज़िले में पुलिसिया ज़ुल्म के ख़िलाफ एक बडी लड़ाई लड़ने वाले मौलाना आमिर रशादी ने सैफ़ुल्लाह के पिता सरताज से मिलने के बाद जो नये आरोप लगाये हैं वो क़ाबिले ग़ौर हैं, और उन्हें भड़काने वाली बात कह कर नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।

हो सकता है मौलाना रशादी की भाषा उतनी संयमित ना हो, लेकिन उनके सवाल कहीं ना कहीं जवाब तो मॉंग ही रहे हैं!
ऊपर से आपका त्वरित एक्शन लेते हुए मुक़दमा दर्ज करने का आदेश देना, कहीं ना कहीं मुठभेड़ पर सवाल खड़ा कर रहे लोगों की आवाज़ दबाने की एक पुलिसिया कोशिश लगती है !

चाहिये तो ये था कि आप जैसा क़ाबिल पुलिस अफ़सर इस पूरे मुठभेड़ पर उठ रहे सवालों का तफ़्सील से जवाब देकर अपनी कहानी को जायज़ ठहराता। लेकिन ये तो लाठी और मुक़दमें से आवाज़ों को दबाने की एक कोशिश है !

आपको संज्ञान रहे इस सियासी ज़माने में इस तरह की कोशिशें हमेशा एक जन आंदोलन का रूप ले लेती हैं !

मैं प्रदेश के एक ज़िम्मेदार नागरिक की हैसियत से अपने प्रदेश के एक क़ाबिल अफ़सर से गुज़ारिश करता हूँ कि एक पूरे समाज के मन में जो सवाल खड़े हो रहे हैं कृपया उनका ईमानदाराना जवाब देकर सबका शक दूर किया जाये, इस रहस्यमयी और तिलिस्मी मुठभेड से पर्दा उठाया जाये !
और मौलाना आमिर रशादी साहब पर दर्ज किये गये मुक़दमें को वापस लिया जाये।