अयोध्या के धार्मिक सौहार्द्र को बरकरार रखते हुए एक मंदिर में सोमवार शाम रमजान के पाक महीने में रोजा इफ्तार का आयोजन किया गया। सरयू कुंज स्थित 500 साल पुराना यह मंदिर राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद स्थल के पास है। नवभारत टाइम्स की खबर के अनुसार, इफ्तार के आयोजन में केवल आम लोगों को बुलाया गया।
कोई राजनीतिक हस्ती या वीआईपी इसमें शामिल नहीं थे। सरयू कुंज के महंत जुगल किशोर शरण शास्त्री ने बताया कि इस कदम के पीछे कोई राजनीतिक मंशा नहीं है। हम अयोध्या से दुनिया को शांति का संदेश देना चाहते हैं।’
मंदिर के अंदर राम, सीता और ब्रह्मा की मूर्तियां हैं। इफ्तार के दौरान साधु अयोध्या के प्रसिद्ध हनुमानगढ़ी से आए हुए लड्डू बांट रहे थे। इफ्तार के बाद मगरिब की नमाज भी मंदिर परिसर में पढ़ी गई। इससे पहले सांप्रदायिकता के खिलाफ एक सेमिनार का आयोजन भी मंदिर में किया गया था।
कार्यक्रम के बारे में एक पंडित ने कहा, ‘हमारा विचार है कि दोनों समुदायों के बीच की दूरियों को कम करने के प्रयास करने चाहिए। मुस्लिमों के लिए इफ्तार का आयोजन दोनों समुदायों को नजदीक लाने का अच्छा मौका है।
इफ्तार में हिस्सा लेने वाले उर्दू के शायर मुजम्मिल ने कहा, ‘अयोध्या में अल्पसंख्यक होकर भी हमें कभी डर नहीं लगा। हमारे हिंदू भाइयों को धन्यवाद, जिन्होंने कभी किसी खतरे से परेशान नहीं होने दिया।’