दिल्ली: मृत मिले मुस्लिम ओला चालक मोहम्मद यूसुफ के कफ़न-दफ़न पर विवाद

ओला कैब ड्राइवर की मोहम्मद युसूफ की हत्या कर दी गई थी। मृतक के रस्सी से हाथ-पैर बांधे गए थे। परिजनों ने यूपी पुलिस पर आरोप लगाया है कि शव का मथुरा के ओल गांव में लावारिस में अंतिम संस्कार कर दिया।

परिवार ने कहा कि मुसलमान का अंतिम संस्कार करने के लिए पुलिस का रवैया सही नही था। पुलिस ने कहा कि आदमी की पहचान नहीं की जा सकी और प्रक्रिया के अनुसार संस्कार किया गया। मानदंडों के अनुसार, पुलिस अज्ञात निकायों से संबंधित मामलों में 72 घंटे प्रतीक्षा करती है जब परिवार का कोई व्यक्ति संपर्क नहीं करता है, तो शव का निपटारा किया जाता है।

10 अगस्त की शाम कैब लेकर सराय काले खां जाने के लिए निकले थे। कैब की ऑनलाइन बुकिंग राजस्थान, अलवर के गांव गढ़वाली जाने के लिए हुई। युसूफ करीब 6 बजे पैसेंजर को ओला में बैठाकर अलवर के लिए निकल गए।

पत्नी ने पति को फोन किया तो उन्होंने जल्द घर पहुंचने की बात कही। दोबारा फोन किया तो युसूफ ने कहा कि वह अलवर पहुंच चुके हैं और कुछ घंटे बाद लौट आएंगे।

जब वह सुबह तक भी नहीं लौटे तो पत्नी ने फिर फोन किया, लेकिन इस बार मोबाइल स्विच ऑफ आ रहा था। 11 तारीख की सुबह परिजन गुमशुदगी की शिकायत लेकर सदर बाजार थाने पहुंच गए। 13 तारीख की सुबह यूपी के अछनेरा-आगरा रोड के पास कार मिलने की सूचना मिली।

तुरंत परिजन अछनेरा गांव पहुंच गए और गाड़ी को पहचान लिया। पास ही एक शव मिलने की सूचना लोकल पुलिस से मिली। फोटो से पहचान हुई। पुलिस ने तब तक शव का अंतिम संस्कार कर दिया था।

यूसुफ की बड़ी बहन अतीया ने कहा कि यह उनकी (यूपी पुलिस) पूरी तरह से उदासीनता है। उन्हें कम से कम हमारा इंतजार करना चाहिए था। पुलिस चौकी प्रभारी जिन्होंने सीमावर्ती गांवों में यूसुफ की खोज का नेतृत्व किया, ने कहा कि वे दस्तावेज नहीं होने के कारण उसकी धार्मिक पहचान का पता नहीं लगा सके।
फराह पुलिस स्टेशन के एसएचओ वीरेंद्र सिंह ने कहा कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट चोटों की प्रकृति को स्पष्ट करेगी।