रोहिंग्या संकट: केंद्र सरकार के आदेश के बाद भारत-म्यांमार सीमा पर बढ़ाई गई सुरक्षा

भारत अब म्यांमार के साथ उस मौजूदा द्विपक्षीय समझौते से पड़ने वाले प्रभावों की समीक्षा करेगा, जिसके तहत दोनों देशों की सीमा के 16 किलोमीटर भीतर तक भारतीय और म्यांमार नागरिकों को बेरोकटोक आवाजाही की इजाजत है।

म्यांमार के रखाइन प्रांत में हुई हिंसा के बाद बंगलदेश में रोहिंग्या मुसलमानों के बड़े पैमाने पर पलायन के मद्देनजर केंद्र सरकार द्वारा ये कदम उठाया जा रहा है।
आईजोल और अगरतला में तैनात असम राइफल्स और सीमा सुरक्षा बल के अधिकारियों ने बताया कि पूर्वोत्तर राज्यों की सीमा के पास अब तक किसी भी अप्रवासी के सीमा पार कर यहां आने की सूचना नहीं है।
दरअसल पूर्वोत्तर में चार राज्य अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मिजोरम और नागालैंड की खुली सीमा म्यांमार से लगती है।

केंद्र सरकार का कहना है कि रोहिंग्या संकट के चलते आतंकवादियों द्वारा हथियारों, नशीली दवाओं और नकली भारतीय मुद्रा की तस्करी के लिए इस समझौते का फायदा उठाया जा रहा है।

विशेष सचिव (आंतरिक सुरक्षा) रीना मित्रा और संयुक्त सचिव (पूर्वोत्तर) सतेंद्र गर्ग ने मिजोरम, नगालैंड, मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश समेत सभी चार राज्यों का दौरा किया है।

गृहमंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि मित्रा की अध्यक्षता में दो सदस्यीय एफएमआर समिति ने दौरे के दौरान सीमा से सटे कई पहलुओं का अध्ययन किया। इस दौरान संबंधित राज्य के मुख्य सचिवों, डीजीपी, आयुक्त और असम राइफल्स के साथ बैठकें भी हुईं।