नफ़रत और हमलों के बीच भारत-पाक में व्यापार बढ़ा, पाकिस्तान से सामान आयात करने में इज़ाफ़ा

न्यूज़ चैनल को देखकर आपको लगता है कि पाकिस्तान और भारत के बीच सिवाए नफरत के कुछ नहीं है। दोनों मुल्क के बीच लगभग सारे रिश्ते ख़त्म हो चुके हैं। तथाकथित राष्ट्रवादी और देशभक्त लोग पाकिस्तान को सुबह शाम पानी पी पी कर कोसते हैं और उससे सारे संबंध खत्म करने का दम भरते रहते हैं।

पिछले साल हुए पठानकोट हमले, उरी हमले, सर्जिकल स्ट्राइक, नियंत्रण रेखा पर गोलीबारी और भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी कुलभूषण जाधव के अपहरण इत्यादि मुद्दों के कारण दोनों देशों के बीच राजनीतिक और कूटनीतिक तनाव बना रहा।

लेकिन इस ख़बर से शायद तथाकथित राष्ट्रवादियों को बड़ा झटका लगे। जी हां पाकिस्तान से तनावपूर्ण रिश्तों के बीच एक क्षेत्र है ऐसा जहां इस तनाव का कोई असर नहीं पड़ा है। वो क्षेत्र है दोनों देशों का आपसी कारोबार। शिवसेना ने पाकिस्तान कलाकारों को भारत नहीं आने देने की धमकी दी लेकिन शिवसेना कभी भी भारत पाकिस्तान के बीच चलने वाले व्यापारिक रिश्तों पर नहीं बोलती है।

प्रमुख पाकिस्तानी अखबार डॉन में प्रकाशित खबर के अनुसार वित्त वर्ष 2016-17 के पहले आठ महीनों में पाकिस्तान के भारत में निर्यात में वृद्धि हुई थी, जबकि आयात 23 प्रतिशत घट गया। स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (एसबीपी) की रिपोर्ट के अनुसार इस दौरान व्यापारिक संतुलन भारत के पक्ष में बना रहा। इसी बीच वर्तमान वित्त वर्ष के पहले आठ महीनों में पाकिस्तान ने भारत के साथ 67.2 करोड़ डॉलर का व्यापारिक घाटा दर्ज किया।

पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में यह घाटा 99.3 करोड़ डॉलर व्यापार विश्लेषकों के अनुसार, दोनों देशों के बीच बिगड़ते राजनीतिक रिश्तों के बावजूद उनके व्यापारिक रिश्तों पर इसका असर कम ही पड़ा।

एसबीपी की रिपोर्ट के मुताबिक, जुलाई से फरवरी के बीच पाकिस्तान से भारत में निर्यात 14 प्रतिशत बढ़ा है। पाकिस्तान ने भारत में 28.6 करोड़ डॉलर का निर्यात किया। लेकिन एक साल पहले के मुकाबले भारत से आयात में 23 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई।

भारत को पाकिस्तानी निर्यात में बढ़ोत्तरी की एक वजह भारत में सीमेंट की ज़्यादा मांग रही है। डॉन के मुताबिक, इससे पाकिस्तान के अफगानिस्तान और दक्षिण अफ्रीका में सीमेंट निर्यात में गिरावट के नकारात्मक प्रभाव की भरपाई हुई।

एसबीपी मुताबिक, “भारत में पाकिस्तानी सीमेंट की मांग में मजबूती के कारण दोनों अन्य प्रमुख बाजारों में इसकी मांग में गिरावट के नकारात्मक प्रभाव की कुछ हद तक भरपाई हो गई।”