माकपा ने पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव से पहले भाजपा से हाथ मिलाने की खबर का कड़ाई से खंडन किया और सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस पर इस तरह की ‘ प्रायोजित अफवाह’ उड़ाने का आरोप लगाया। इससे पहले दिन में ऐसी खबरें चल रही थी कि तृणमूल कांग्रेस को राज्य में आने वाले पंचायत चुनाव में हराने के लिए नदिया जिले में जमीनी स्तर पर माकपा ने भाजपा के साथ हाथ मिलाया है।
माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी ने ट्विटर पर इस तरह की खबरों का खंडन करते हुए कहा कि तृणमूल कांग्रेस को ‘झूठी अफवाह’ फैलाने के बदले इस बात का जवाब देना चाहिए कि अगर इस पार्टी ने अंदरूनी तौर पर भाजपा से हाथ नहीं मिलाया है तो सीबीआई नारदा, शारदा और रोज वैली जैसे घोटालों की जांच ‘धीमी गति’ से क्यों कर रही है। येचुरी ने कहा, “सभी नाटक है। भाजपा और तृणमूल कांग्रेस एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।”
Motivated rumours, canards and lies are being spread by TMC which has a deal with BJP on communal polarisation and on saving its corrupt. Biman Bose has denied any understanding with the BJP and we stand firm in our opposition to both TMC and BJP. https://t.co/MK4DxrarJc
— Sitaram Yechury (@SitaramYechury) May 8, 2018
बता दें कि इससे पहले खबर आई थी कि एक दूसरे के धुर विरोधी भारतीय जनता पार्टी और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस को हराने के लिए नदिया जिले में हाथ मिला लिए हैं।
माकपा के जिला स्तर के एक नेता ने इसे ‘‘ सीट बांटने के लिए एक औपचारिक सामंजस्य ’’ बताते हुए कहा कि पार्टी को कई सीटों पर ऐसा करना पड़ा क्योंकि कई गांववाले तृणमूल के खिलाफ आर पार की लड़ाई चाहते थे। माकपा भाजपा को अकसर ‘‘ विभाजनकारी ताकत ’’ बताती रही है।
भाजपा की नदिया जिला शाखा के अध्यक्ष ने इसे एक ‘‘ अकेला मामला ’’ बताया। दोनों दलों में यह भाईचारा अप्रैल के आखिरी हफ्ते में दिखना शुरू हुआ था जब दोनों दलों ने पंचायत चुनाव प्रक्रिया के दौरान तृणमूल कांग्रेस की कथित हिंसा के खिलाफ नदिया जिले के करीमपुर – राणाघाट इलाके में एक संयुक्त विरोध रैली का आयोजन किया था।
रैली के दौरान दोनों दलों के कार्यकर्ता अपने अपने झंडे लेकर पहुंचे थे। माकपा के नदिया जिला सचिव एवं राज्य समिति के सदस्य सुमित डे ने यह बात मानी कि पार्टी को जमीनी स्तर पर कई सीटों पर ऐसा करना पड़ा क्योंकि कई गांववाले तृणमूल के खिलाफ आर पार की लड़ाई चाहते थे। उन्होंने कहा कि इसका पार्टी की नीति से कुछ लेना देना नहीं है।
डे ने कहा, ‘‘हां, जमीनी स्तर पर कुछ तालमेल बनाया गया। कई सीटों पर क्योंकि गांववाले आर पार की लड़ाई चाहते थे, हमें इसका सम्मान करते हुए तदनुसार काम करना पड़ा।
लेकिन ऐसा नहीं है कि दोनों दलों के बीच कई चरणों में चर्चा की गयी और यह सीट बांटने के लिए बनाया गया औपचारिक सामंजस्य है।’’ संयुक्त रैली में मौजूद माकपा के वरिष्ठ नेता एवं राज्य समिति के सदस्य रमा विश्वास ने माना कि तृणमूल कांग्रेस की हिंसा के खिलाफ ग्रामीणों ने एक रैली निकाली थी।
पश्चिम बंगाल की भाजपा इकाई के अध्यक्ष दिलीप घोष ने भी माना कि दोनों दलों के समर्थक रैली में मौजूद थे। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे जानकारी मिली कि हमने तृणमूल कांग्रेस की हिंसा के खिलाफ एक रैली बुलायी थी।
माकपा कार्यकर्ता भी आए थे और हमारी रैली में शामिल हुए थे क्योंकि उनपर भी हमला हुआ था।’’ माकपा की केंद्रीय समिति के नेता सुजान चक्रवर्ती ने कहा कि कुछ घटनाओं के हिसाब से भाजपा के खिलाफ माकपा की राजनीतिक विचारधारा को आंकना नहीं चाहिए।