अमित शाह के खिलाफ ट्विटर पर ट्रेंड हुआ “#ShahZyadaKhaGaya

नई दिल्ली: इंडो-एशियन न्यूज सर्विस (आईएएनएस) ने सनसनीखेज आरटीआई पूछताछ के बाद खुलासा किया था कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के अध्यक्ष अमित शाह के साथ एक सहकारी बैंक ने निदेशक के रूप में 500 रुपये और 1,000 के नोट्स 8 नवंबर 2016 को नोटबंदी के ऐलान के बाद 5 दिन के अंदर अहमदाबाद ज़िला सहकारी बैंक में तकरीबन 750 करोड़ रुपये की प्रतिबंधित करेंसी जमा हुई, जो किसी सहकारी बैंक में जमा हुई सर्वाधिक राशि है. #ShahZyadaKhaGay ट्विटर पर ट्रेंड करना शुरू कर दिया है।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट में कहा “बधाई अमित शाह जी, निदेशक, अहमदाबाद जिला। सहकारी बैंक, आपके पुरानी नोटों के रूपांतरण करने में पहली बार पुरस्कार जीता। पांच दिनों में 750 करोड़ रुपये! लाखों भारतीय जिनके जीवन राक्षसों द्वारा नष्ट कर दिए गए थे, आपकी उपलब्धि को सलाम करते थे। #ShahZyadaKhaGaya। ”

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Rachit Seth (@rachitseth) Tweeted:
#ShahZyadaKhaGaya
1. Look at ‘Gujarat’ list in the RTI that exposed Amit Shah. Look at the amounts.
2. Not only Amit Shah, but board of directors of ADCB includes -Yashpal Chudasama. Heard his name in Jay Shah case! Both were chargesheeted in Sohrabuddin Sheikh Fake Encounter https://t.co/UcS6WW54qv https://twitter.com/rachitseth/status/1010175516047958016?s=17

समाचार एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक मुंबई के एक आरटीआई कार्यकर्ता की याचिका के जवाब में यह खुलासा हुआ है.

मालूम हो कि 8 नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री मोदी ने 500 और 1000 के नोटों को बंद करने का फैसला लिया था और जनता को बैंकों में अपने पास जमा पुराने नोट बदलवाने के लिए 30 दिसंबर 2016 तक यानी 50 दिनों की मियाद दी गई थी.

हालांकि इस फैसले के 5 दिन बाद यानी 14 नवंबर 2016 को सरकार की ओर से यह निर्देश दिया गया कि किसी भी सहकारी बैंक में नोट नहीं बदले जाएंगे. ऐसी आशंका थी कि जमा काले धन को सफेद करने के लिए ऐसे बैंकों का दुरुपयोग हो सकता है.

इस आरटीआई के जवाब में यह सामने आया है कि अहमदाबाद जिला सहकारी बैंक (एडीसीबी) ने इन्हीं पांच दिनों में 745.59 करोड़ मूल्य के प्रतिबंधित नोट जमा किए.

बैंक की वेबसाइट के मुताबिक अमित शाह अब भी इस बैंक के निदेशक हैं और इस पद पर कई सालों से बने हुए हैं. साल 2000 में वे इस बैंक के अध्यक्ष भी थे.

31 मार्च 2017 तक एडीसीबी में कुल 5,050 करोड़ रुपये जमा हुए थे और वित्त वर्ष 2016-17 का इसका मुनाफा 14.31 करोड़ का था.

एडीसीबी के बाद सबसे ज्यादा प्रतिबंधित नोट राजकोट जिला सहकारी बैंक में जमा हुए, जिसके चेयरमैन जयेशभाई विट्ठलभाई रदाड़िया हैं, जो गुजरात की विजय रूपाणी सरकार में कैबिनेट मिनिस्टर हैं. यहां 693.19 करोड़ मूल्य के पुराने नोट जमा हुए थे.

राजकोट, गुजरात में भाजपा की राजनीति का गढ़ माना जाता है- नरेंद्र मोदी 2001 में पहली बार यहीं से विधायक बने थे.

गौर करने वाली बात है कि प्रदेश के सबसे बड़े सहकारी बैंक- गुजरात सहकारी बैंक लिमिटेड में इन दोनों सहकारी बैंकों के मुकाबले बेहद कम 1.11 करोड़ रुपये जमा हुए थे.

मुंबई के कार्यकर्ता मनोरंजन एस रॉय की आरटीआई के जवाब में यह जानकारी नाबार्ड, जो इन बैंकों की सर्वोच्च अपीलीय इकाई है, के चीफ जनरल मैनेजर एस. सर्वनावेल द्वारा दी गयी है.

मनोरंजन ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, ‘नोटबंदी के फैसले के बाद राज्य सहकारी बैंकों और जिला सहकारी बैंकों में जमा हुई राशि के बारे में पहली बार आरटीआई के तहत कोई जानकारी सामने आई है और यह चौंकाने वाली है.

मालूम हो कि 30 दिसंबर 2016 में महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने आरोप लगाया था कि अहमदाबाद के एक सहकारी बैंक में 500 करोड़ रुपये जमा होने के तीन दिन बाद सरकार ने सहकारी बैंकों द्वारा प्रतिबंधित नोट स्वीकार न करने का फैसला लिया है.

उन्होंने यह भी कहा था कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह इस बैंक के निदेशक हैं लेकिन मैं यह नहीं कह रहा कि यह राशि उन्हीं ने जमा करवाई है.

उन्होंने यह मांग भी की थी कि गुजरात सरकार आश्रम रोड पर अहमदाबाद जिला सहकारी बैंक की मुख्य शाखा पर लगे सीसीटीवी कैमरों के फुटेज की सीडी जारी करे.

आरटीआई के जवाब में यह भी सामने आया है कि देश भर के सार्वजनिक क्षेत्र के 7 बैंक, 32 राज्य सहकारी बैंक, 370 जिला सहकारी बैंक और करीब 3 दर्जन डाकघरों में नोटबंदी के बाद कुल 07.91 लाख करोड़ रुपये के पुराने नोट जमा हुए थे- जो रिज़र्व बैंक द्वारा जमा हुए कुल 15.28 लाख करोड़ रुपये के पुराने नोट के आधे (52 फीसदी) से भी ज्यादा है.