भारतीय एथलीटों से वर्ल्ड ड्वार्फ गेम्स में पदक जीतने की उम्मीद कम ही थी, लेकिन इससे उलट इस दल ने इतिहास रच दिया। भारतीय एथलीटों ने रिकॉर्ड पदक जीते। कनाडा के टोरंटो में 12 अगस्त को संपन्न एक सप्ताह तक चले इन खेलों में भारत 10वें स्थान पर रहा। बता दें कि इन खेलों में कुल 24 देशों ने हिस्सा लिया था।
भारतीय दल 37 मेडल के साथ लौटा, जिसमें 15 गोल्ड (स्वर्ण), 10 सिल्वर (रजत) और 12 ब्रोंज (कांस्य) मेडल शामिल हैं। भारत का वर्ल्ड ड्वार्फ गेम्स में अब तक का यह सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। 24 देशों के करीब 400 एथलीटों ने अलग-अलग स्पर्धाओं में हिस्सा लिया था।
100 मीटर और 200 मीटर में देश को सिल्वर मेडल दिलाने वाले स्प्रिंटर देवप्पा मोरे ने कहा, ‘वर्ल्ड गेम्स के लिए क्वालीफाई करने वाले कर्नाटक के किसी एथलीट को आर्थिक मदद नहीं मिली थी। मैंने अपने यात्रा खर्चे के लिए खेत की जमीन बेचीं और दो लाख रुपए उधार लिए।’
भारत की सफलता में कर्नाटक के एथलीटों का बड़ा योगदान रहा। यहां के 7 एथलीटों ने कुल 16 पदक जीते, जिसमें 9 गोल्ड, चार सिल्वर और तीन ब्रोंज मेडल शामिल है। सीवी राजन्ना ने तीन गोल्ड मेडल जीते। बैंगलोर के एथलीट ने बैडमिंटन का सिंगल्स खिताब जीता और फिर 100 एवं 200 मीटर रेस भी जीती।
बेलगावी की सिमरन गौन्दालकर ने तैराकी के जूनियर वर्ग में हिस्सा लिया और 50 मीटर बेकस्ट्रोक इवेंट में गोल्ड मेडल जीता। इसके अलावा उन्होंने 50 मीटर बटरफ्लाई और 50 मीटर फ्रीस्टाइल इवेंट्स में सिल्वर मेडल भी जीते। बैंगलोर के एम प्रकाश ने बोच्चिया में गोल्ड जबकि डिस्कस थ्रो में ब्रोंज मेडल जीता। शांत कुमार ने बोच्चिया के अलग वर्ग में गोल्ड जीता।
नागेश ने एथलेटिक्स में देश का नाम रोशन किया और डिस्कस थ्रो में गोल्ड जीता जबकि शॉटपुट और जेवलिन थ्रो में ब्रोंज मेडल जीता। रेनू कुमार ने जेवलिन में गोल्ड जबकि डिस्कस थ्रो में सिल्वर मेडल जीता।