बिटक्वॉइन की बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए केंद्र सरकार ने इस करंसी को लेकर इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आईसीएआई) को ऑडिटिंग रिपोर्ट तैयार करने के लिए कहा है। इसे आपके वित्तीय लेनदेन में शामिल करने का विचार सरकार कर रही है।
आईसीएआई के डिजिटल अकाउंटिंग और एश्यारेंस स्टैंडर्ड बोर्ड के सदस्य देबाशीस मित्रा ने इसकी जानकारी दी। कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने उन्हें यह जिम्मेदारी सौंपी है। उन्होंने बताया कि आईसीएआई ने एक पैनल गठित कर दिया है और संभवत: यह 31 मार्च तक अपनी रिपोर्ट सौंप देगा।
मित्रा ने बताया कि ऑडिटिंग के दौरान यह देखा जाएगा कि आखिर इस करंसी को कैसे फाइनेंशियल स्टेटमेंट में दिखाया जाए। उनके मुताबिक भारतीय कंपनियों की तरफ से बिटक्वॉइन में किए जा रहे लेनदेन का डाटा मौजूदा समय में न के बराबर मौजूद है।
ऐसे में ऑडिटिंग के दौरान यह देखा जाएगा कि कैसे बिटक्वॉइन में लेनदेन को उनके वित्तीय लेनदेन में शामिल किया जाए।
मित्रा सीआईआई द्वारा आयोजित कॉरपोरेट गवर्नेंस एंड कंपनीज एमेंडमेंट बिल, 2017 पर आयोजित एक सेमिनार में बोल रहे थे। उन्होंने इस दौरान कहा कि कॉरपोरेट मंत्रालय बिटक्वॉइन को लेकर कारोबारियों व अन्य लोगों के विचार व सुझाव लेने के लिए तैयार है।
डिजिटल करेंसी इंटरनेट पर चलने वाली एक वर्चुअल करेंसी हैं। इंटरनेट पर इस वर्चुअल करेंसी की शुरुआत जनवरी 2009 में बिटकॉयन के नाम से हुई थी।
इस वर्चुअल करेंसी का इस्तेमाल कर दुनिया के किसी कोने में किसी व्यक्ति को पेमेंट किया जा सकता है और सबसे खास बात यह है कि इस भुगतान के लिए किसी बैंक को माध्यम बनाने की भी जरूरत नहीं पड़ती।
बिटकॉइन का इस्तेमाल पीयर टू पीयर टेक्नोलॉजी पर आधारित है। इसका मतलब कि बिटकॉइन की मदद से ट्रांजैक्शन दो कंप्यूटर के बीच किया जा सकता है।
इस ट्रांजैक्शन के लिए किसी गार्जियन अथवा सेंटरेल बैंक की जरूरत नहीं पड़ती। बिटकॉइन ओपन सोर्स करेंसी है जहां कोई भी इसकी डिजाइन से लेकर कंट्रोल को अपने हाथ में रख सकता है।