भारतीय नेवी ऑफिसर कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान द्वारा फांसी की सजा सुनाए जाने के बाद भारत सरकार ने कड़ा रुख अख्तियार किया है।
परिणामस्वरुप कुलभूषण जाधव को फांसी की सजा सुनाए जाने के कुछ घंटे बाद भारत सरकार ने भारत के जेल में बंद करीब एक दर्जन पाकिस्तानी कैदियों की रिहाई पर रोक लगाने का फैसला किया। इन पाकिस्तानी कैदियों को 12 अप्रैल को छोड़ा जाना था।
सूत्रों के मुताबिक सरकार को लगता है कि पाकिस्तानी कैदियों को रिहा करने का यह सही समय नहीं है। पाकिस्तान के इंटर सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस ने कहा है कि ‘जासूस का पाकिस्तानी आर्मी एक्ट के तहत फील्ड जनरल कोर्ट मार्शल के जरिए ट्रायल किया गया और मौत की सजा सुनाई गई। सेनाध्यक्ष जनरल कमर जावेद बाजवा ने मौत की सजा की पुष्टि की है।’
पाकिस्तान का आरोप है कि कुलभूषण जाधव हिन्दुस्तान की खुफिया एजेंसी RAW का एजेंट है।वहीं पाकिस्तान की इस कार्रवाई पर भारत ने नाराजगी जाहिर की है और पाकिस्तान के उच्चायुक्त अब्दुल बासित को तलब किया है। बासित को डिमार्श जारी कर कहा गया है कि जाधव की सजा वाली कार्यवाही हास्यास्पद है।
जाधव को 3 मार्च, 2016 को बलूचिस्तान के मश्केल क्षेत्र से गिरफ्तार किया गया था। जाधव पर जासूसी और कराची और बलूचिस्तान में अशांति फैलाने का आरोप है। पाकिस्तान के आरोपों को खारिज करते हुए भारत सरकार ने अपने आधिकारिक बयान में कहा था कि जाधव कभी इंडियन नेवी का सदस्य रहा है, और रिटायरमेंट के बाद से उसका भारत सरकार या इंडियन नेवी से कोई संपर्क नहीं रहा है।