मुस्लिम देशों में जो कुछ भी हो रहा है, उसके लिए हमें अपने गिरेबां में झांकने की जरूरत- इंडोनेशियाई राष्ट्रपति

इस्लामाबाद। इंडोनेशिया के राष्ट्रपति ने पाकिस्तान में दिखाया मुस्लिमों को आईना. जोको विडोडो ने कहा कि जो कुछ आज मुस्लिम दुनिया में हो रहा है, उसके लिए किसी और को जिम्मेदार ठहराने की बजाय मुस्लिम देशों को अपने गिरेबां में झाकना होगा.

इंडोनेशिया के राष्ट्रपति ने पाकिस्तान में दिखाया मुस्लिमों को आईना
भारत में गणतंत्र दिवस की परेड में आसियान नेताओं के साथ मुख्य अथिति बने इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो बाद में पाकिस्तान के दौरे पर गए.

वहां उन्होंने पाकिस्तान के सैन्य और सियासी नेतृत्व के साथ मुलाकातों के अलावा पाकिस्तानी संसद के साझा सत्र को भी संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने मुस्लिम दुनिया के सामने मौजूद चुनौतियों पर खरी-खरी बात कही.

उन्होंने कहा कि जो कुछ आज मुस्लिम दुनिया में हो रहा है, उसके लिए किसी और को जिम्मेदार ठहराने की बजाय मुस्लिम देशों को अपने गिरेबां में झाकना होगा. उन्होंने आतंकवाद और चरमपंथ को बड़ी चुनौती बताया जबकि तरक्की और खुशहाली के लोकतंत्र को मजबूत बनाने पर जोर दिया.

रोजनामा ‘पाकिस्तान’ ने इंडोनेशियाई राष्ट्रपति के भाषण के हवाले लिखा है कि मुसलमान देश आतंकवाद और टकराव से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं, 70 फीसदी आतंकवादी घटनाएं मुस्लिम देशों में हुईं, 60 फीसदी से ज्यादा जंगें और टकराव मुस्लिम देशों में हो रहे हैं और दुनिया में 60 फीसदी से ज्यादा शरणार्थी मुसलमान हैं.

अखबार कहता है कि इंडोनेशिया के राष्ट्रपति ने पाकिस्तानी संसद में दिए अपने संबोधन में आतंकवाद को लेकर जो चौंकाने वाले आंकड़े पेश किए हैं, उन पर मुसलमान देशों के नेतृत्व और जनता, दोनों को ध्यान देना चाहिए. अखबार के मुताबिक मुसलमान देशों को सोचना चाहिए कि आखिर तबाही और बर्बादी मुसलमानों का ही मुकद्दर क्यों है?

अखबार कहता है कि बदकिस्मती की बात यह है कि दुनिया के बहुत से इलाकों में मुसलमान आपसी झगड़ों में ही उलझे हैं और उनके दुष्परिणाम मुसलमानों को ही भुगतने पड़ रहे हैं.

अखबार कहता है कि सारे हालात के लिए गैर इस्लामी ताकतों को जिम्मेदार ठहराने से काम नहीं चलेगा क्योंकि अगर मुस्लिम देशों का नेतृत्व मुसलमान विरोधी इरादों को भांपकर उन्हें नाकाम नहीं बना सकता है तो फिर इसमें भला किसी और का क्या कसूर है?

वहीं रोजनामा ‘एक्सप्रेस’ ने अपने संपादकीय की शुरुआत राष्ट्रपति विडोडो की इस बात से की है कि सैन्य ताकत के इस्तेमाल और हथियारों की दौड़ से विवादों का हल मुमकिन नहीं, बल्कि लोकतंत्र से ही लोगों के हितों की बेहतरीन सुरक्षा हो सकती है और उनकी समस्याएं हल की जा सकती हैं.

अखबार लिखता है कि पाकिस्तान और अन्य मुस्लिम देशों की तरह इंडोनेशिया भी कट्टरपंथ का शिकार रहा है लेकिन इंडोनेशिया ने चरमपंथ को बड़ी निपुणता के साथ कंट्रोल किया है.

अखबार की राय में पाकिस्तान समेत दुनिया के सभी मुस्लिम देश अपने अंदरूनी विरोधाभासों को स्वीकार करें और फिर उन्हें हल करने के लिए बातचीत की मेज पर बैठें.

अखबार की राय में, दूसरों पर इल्जाम लगाने से कुछ नहीं होगा और मुस्लिम दुनिया के सामने जो भी संकट मौजूद हैं, वे उसे खुद ही हल करने होंगे. अखबार कहता है कि इंडोनेशिया आज दुनिया की 20 उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं में से एक है और पाकिस्तान इंडोनेशिया से खासा फायदे ले सकता है.

सौजन्य- firstpost