नई दिल्ली: अब यह बात सामने आई है कि मुसलमानों में फूट डालकर अपनी नेतागिरी चमकाने के लिए एक राजनीतिक नेता ने रमज़ानुल मुबारक के दौरान रोज़ा इफ्तार में शिया सुन्नी लोगों के एकसाथ शामिल होने पर दारुल उलूम से फतवा लिया और फिर उसको वायरल ही नहीं किया बल्कि अख़बारों को उसकी कोपियाँ भी बांटी।
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गौरतलब है कि इस फतवे के जारी होने और मीडिया में उसका ज़िक्र होने के बाद पूरे देश से सख्त प्रतिक्रिया सामने आ रहा है। इधर सोशल मीडिया पर चल रही खबरों से पता हुआ है कि समाजवादी पार्टी के नेता को बहुत अपमान महसूस हुआ और उन्होंने दारुल उलूम से यह पता किया कि क्या शिया के घर इफ्तार करना चाहिए तो दारुल उलूम ने वैसा ही फतवा दिया जो उसकी ओर से इससे पहले भी कई बार दिया जा चूका है।
जमीअत उलेमा ए हिन्द के अध्यक्ष मौलना सैयद अरशद मदनी ने कहा कि मैं तो शिया के हाथ का खाना खाता हूँ, उनके साथ खाता हूँ, मुझे कोई एतराज नहीं है और यह मसला शिया सुन्नी का नहीं है बल्कि हराम व हलाल का है कि हराम खाना किसी भी एतबार से जायज़ नहीं है और अगर हलाल है तो फिर कोई परहेज़ नहीं चाहे वह शिया का खाना हो या सुन्नी या फिर देशवासियों का। जबकि मौलाना मदनी रमजान के महीने में बयानबाजी से बचते हैं लेकिन फिर भी उन्होंने इस मुद्दे पर बात की ताकि अफवाह और प्रोपगंडे पर रोक लगाया जा सके।