चीन में ‘कैदखानों’ में रहने को मजबूर नौजवान उइगर मुसलमान, मुफ्त शिक्षा और रोजगार ट्रेनिंग के नाम पर दमन

पेइचिंग
चीन के सरकारी टेलिविजन पर देश के सुदूरवर्ती पश्चिमी इलाके में स्थित वोकेशनल एजुकेशन सेंटर की छवि किसी अत्याधुनिक स्कूल की तरह दिखाई जाती है। यहां भारी तादाद में छात्र मंदारिन भाषा का अध्ययन करने के साथ अपने रोजगार कौशल को निखारने में लगे हैं। हालांकि हकीकत इससे बहुत अलग है। कुछ दस्तावेजों पर गौर करने के बाद इन केंद्रों की बेहद चौंकाने वाली सच्चाई सामने आई है। न्यूज एजेंसी एएफपी ने अपनी रिपोर्ट में वोकेशनल एजुकेशन सेंटरों की आड़ में उइगर मुसलमानों के ‘यातनागृहों’ की दास्तां बताई है।

करंट वाले बेंत, लाठियां, हथकड़ियां…सेंटर में इनकी खरीदारी
इस साल की शुरुआत में शिनजियांग के होटान प्रांत में इन केंद्रों की जिम्मेदारी संभालने वाले एक स्थानीय सरकारी विभाग द्वारा इन केंद्रों के लिए की गई खरीदारी का कम से कम शिक्षा से तो दूर-दूर तक कोई लेना-देना नहीं है। जानकर आश्चर्य होगा कि इन खरीदारियों में पुलिस द्वारा इस्तेमाल में लाई जाने वाली 2,768 लाठियां, बिजली के करंट वाले 550 बेंत, 1,367 जोड़ी हथकड़ियां व पेपर स्प्रे के 2,792 केन शामिल हैं।

ऐसे केंद्रों में रह रहे हैं 10 लाख उइगर मुस्लिम
शिनजियांग की स्थानीय सरकारों द्वारा इन वोकेशनल एजुकेशन एवं ट्रेनिंग सेंटर के निर्माण व प्रबंधन से जुड़े सामानों की खरीदारी के लिए 2017 की शुरुआत से लेकर अब तक किए गए आवेदनों में इन सामानों की सूचियां भी शामिल हैं। इन केंद्रों पर पूरी दुनिया की नजर तब गई, जब मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने इन्हें पॉलिटिकल रीएजुकेशन (लोगों के अंदर देशभक्ति जगाने) कैंप करार दिया। इन केंद्रों में कम से कम 10 लाख उइगर और अन्य मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदाय के लोग रह रहे हैं।

मुफ्त शिक्षा और रोजगार ट्रेनिंग के नाम पर दमन
सरकार के मुताबिक, ये केंद्र मुफ्त शिक्षा और रोजगार प्रशिक्षण के जरिए आतंकवाद के प्रसार को रोकने के लिए खोले गए हैं। हालांकि, इन 181 ‘कैदखानों’ पर 1,500 से अधिक स्टेट फाइल्स पर गौर करें, तो पता चलता है कि इन केंद्रों को स्कूल के बजाए जेल की तरह चलाया जा रहा है। आंसू गैस, बिजली का झटका देने वाले हथियारों, कांटेदार बेंत से लैस हजारों सुरक्षाकर्मी छात्रों पर सख्ती से निगाह रखते हैं। यही नहीं, ये केंद्र चारों ओर से रेजर वायर और इंफ्रारेड कैमरों से घिरे हैं।

स्कूल के बजाय सैन्य किले जैसा माहौल
शिनजियांग के पार्टी सेक्रटरी चेन कुआंगुओ का हवाला देते हुए एक दस्तावेज में कहा गया है कि जहां छात्रों को स्कूल का माहौल मिलना चाहिए, उसे सैन्य किले में तब्दील कर दिया गया है। एक अन्य याचिका में कहा गया है कि एक नया, बेहतर चीनी नागरिक बनाने के लिए केंद्रों को सबसे पहले अपने राजनीतिक संबंधों, अपनी जड़ों और अपने मूल से संबंध त्यागना चाहिए।

सरकारी टीवी पर दिखाई जा रही है अलग ही तस्वीर
चीन के सरकारी टीवी चैनल सीसीटीवी पर छात्रों को मैचिंग यूनिफार्म पहने, मंदारिन का अध्ययन करते और सिलाई-कढ़ाई, बुनाई व बेकिंग का गुर सीखते दिखाया गया है। इन केंद्रों के संचालन पर लगभग 43.2 करोड़ रुपये का खर्च आता है। इस रकम का कुछ हिस्सा सीधे कम्युनिस्ट पार्टी के एक विंग इंचार्ज की तरफ से आता है।