हमारे लिए होली, दीवाली जैसी ही है ईद….

नफ़रतों की हवाओं के बीच कुछ लोग और उनकी ज़िंदगी सुकून और राहत लेकर आती है । जब त्योहारों को धर्मों में बांटा जा रहा हो तो आपको मिलवातें हैं ऐसे परिवारों से जिन्होंने इश्क़ किया और एक दूसरे के मज़हबों की इज्ज़त भी ।

समस्तीपुर की मृदुला वर्मा की कहानी फिल्मी ज़रूर है लेकिन सच है । मृदुला कहती हैं कि “साल 2007 में शादी के बाद जब पहली ईद पड़ी तो पारंपरिक व्यंजन बनाने ही नहीं आते थे. मेरी सास ने मुझे बड़े प्यार से सब कुछ सिखाया. उस वक्त मैं पहली बार ईद को इतने नज़दीक से देख रही थी और मुझे आश्चर्य होता था कि भला ये लोग तीस दिन भूखे प्यासे रहकर इतने जोश के साथ कैसे काम करते हैं.”

मृदुला हिन्दू है और उन्होंने मुस्लिम धर्म से आने वाले जिया हसन से शादी की है. साल 1978 में खेल के मैदान में दो बच्चों की मुलाकात हुई. लड़की के पिता बड़े सरकारी ओहदे पर थे और लड़के के पिता मामूली से मजदूर. लेकिन धर्म और स्टेटस के अंतर को दरकिनार कर दोनों ने एक दूसरे से मोहब्बत हो गई ।

मृदुला कहती हैं कि मैं रोजे तो नहीं रखती क्योंकि उसका अनुशासन मेरे बस की बात नहीं. लेकिन रमजान की सारी परंपराओं को निभाती हूं. और ये करते हुए मेरे दिल बहुत सुकून महसूस होता है. मुझे लगता है कि मैं उतनी ही मुसलमान हूं जितने की मेरे पति हिन्दू.”

ईद के अलग-अलग रंगों से शालिनी का भी राब्ता 17 साल पहले बन गया था. 10 साल के लंबे इंतज़ार के बाद उन्होंने एजाज़ से शादी की. वो बताती हैं, “मेरे परिवार ने बहुत खुले मन से सहमति तो नहीं दी लेकिन वो शादी में शरीक भी नहीं हुए.”

पटना के फ्रेजर रोड इलाके की रहने वाली शालिनी वर्मा की मोहब्बत भी छुटपन में ही जवां हुई थी. बड़े भाई के दोस्त एजाज़ हुसैन से मोहब्बत हुई तो दुनिया के सारे डर को किनारे रख दिया.

2001 में पहले कोर्ट में शादी की और उसके बाद कलमा पढ़कर इस्लाम धर्म अपना लिया. शादी होने के बाद हिन्दी में कुरान शरीफ पढ़ी. शालिनी बताती है कि शादी के बाद जब पहली बार रमजान के महीने को करीब से देखा तो बड़ा एक्साइटमेंट महसूस हुआ. रोज़ाना शाम को इफ़्तार की तैयारी, उसको मोहल्ले भर में बांटना ज़़िंदगी में एक नए रंग से रूबरू होने जैसा था.

शालिनी कहती हैं, “अपनी 17 साल की शादीशुदा ज़िंदगी में मैंने ईद को वैसे ही इन्जॉय किया जैसे होली, दिवाली को. बल्कि जब शादी होकर आई तो बहुत एक्साइटमेंट था इस त्यौहार को लेकर. बाद में ये एक्साइटमेंट एक तरीके से वायरल भी हुआ.

बहुत सारे हिंदू दोस्त अब इफ़्तार के लिए इंतज़ार करते हैं और रोज़े में हर दिन घर में एक छोटा सा जश्न होता है. कभी कभार मन हुआ तो रोज़े भी रख लेते हैं.”

पटना में मश्हूर ब्यूटी पार्लर चलाने वाली नूतन को भी तनवीर अख़्तर से इश्क हुआ और दोनों ने साथ जीने का वादा किया । नूतन ने 26 साल पहले तनवीर अख़्तर से कोर्ट मैरिज की थी. नूतन कहती हैं कि मुझे होली और ईद में बहुत समानताएं दिखती हैं.

नूतन कहती हैं, “मुझे इन त्यौहारों में इतनी समानताएं लगती हैं कि कभी ये महसूस ही नहीं होता कि मैं मुस्लिम बैकग्रांउड में चली गई हूं. और फिर अगर आप देखें मुसलमानों के नाम पर डर पैदा किया जाता है जबकि कुछ अलग नहीं है.

अगर आप एक बार उनकी ज़िंदगी में शामिल हो जाएं तो दिल में ये एहसास गहराता जाता है कि वो भी हिन्दुओं जैसे ही है.”
हमारे त्यौहार का ताना बाना कुछ ऐसा है कि उससे आपसी मोहब्बत बढ़ती है. जैसा कि मृदुला के पति जिया हसन कहते भी हैं, “त्यौहार तो होते ही हैं मोहब्बत बढ़ाने के लिए. ये तो हम है जो ईद, होली, दीवाली, बकरीद को धार्मिक चश्मे से देखते हैं.”