IPS अधिकारी का लापता छोटा भाई आतंकवादी संगठन हिजबुल मुजाहिद्दीन में शामिल

कश्मीर यूनिवर्सिटी कैंपस से मई में गायब हुआ नार्थ ईस्ट काडर के आईपीएस अधिकारी का छोटा भाई आतंकवादी संगठन हिजबुल मुजाहिद्दीन में शामिल हो गया है. टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक आतंकी संगठन की ओर से जारी की गई तस्वीर में युवक शमसुल हक मेंगनू एके-47 राइफल लिए हुए है.आतंकी बुरहान वानी की हत्या की दूसरी वर्षी के मौके पर रविवार को हिजबुल मुजाहिद्दीन ने हाल ही में संगठन में शामिल होने वाले नए लड़कों की तस्वीरें जारी की. जम्मू-कश्मीर में सोशल मीडिया पर ये तस्वीरें वायरल हो गई हैं.

इन तस्वीरों में आतंकी संगठन में शामिल हुए दूसरे युवकों के साथ शमसुल हक मेंगनू भी दिख रहा है. शमसुल हक मेंगनू दक्षिण कश्मीर के सोपियां जिले का रहने वाला है. एक सीनियर पुलिस अधिकारी ने बताया कि कश्मीर यूनिवर्सिटी के यूनानी मेडिसीन एंड सर्जरी की पढ़ाई कर रहा शमसुल ने इस साल 25 मई को आंतकी संगठन हिजबुल मुजाहिद्दीन जॉइन कर ली थी.

शमसुल के बड़े भाई इनामुल हक 2012 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं. जिनकी नॉर्थ ईस्ट में पोस्टिंग हैं. शमसुल के माता-पिता ने स्थानीय थाने में 22 मई को उसके गुम होने की शिकायत दर्ज कराई थी. आतंकी संगठन की ओर से जारी की गई तस्वीर में दावा किया गया है कि वह 25 मई को संगठन में शामिल हो गया था.

अप्रैल में शोपियां जिले से मीर इदरीश सुल्तान नामक एक सिपाही गायब हो गया था. बाद में सामने आया कि वह जम्मू-कश्मीर में सक्रिय आतंकवादी संगठन हिज्बुल मुजाहिदीन में शामिल हो गया है. पिछले दो सालों में कश्मीर के कई युवा आतंकी संगठन में शामिल हुए हैं. सबसे हैरानी की बात ये है कि पढ़े-लिखे और अच्छे परिवारों के युवा आतंकी संगठनों की ओर आकर्षित हो रहे हैं. इस साल 50 से ज्यादा कश्मीरी युवक आतंकी संगठनों में शामिल हुए हैं.

आतंकी बुरहान वानी की मौत के बाद जम्मू-कश्मीर में उग्रवादी संगठनों से जुड़ने वाले नौजवानों की तादाद में तेजी से बढ़ोत्तरी हुई है. वर्ष 2010 के बाद घाटी में सबसे ज्यादा युवा साल 2016 में उग्रवादी बने. गौरतलब है कि आठ जुलाई 2016 को पुलिस के साथ हुई मुठभेड़ बुरहान वानी की मौत हो गई थी. उसकी मौत के बाद घाटी में कई हिंसक प्रदर्शन हुए थे जिसमें 90 से ज्यादा लोग मारे गए थे. साल 2016 में घाटी में 88 युवा उग्रवादी संगठनों में शामिल हुए थे.

साल 2010 की तुलना में ये  आंकड़ा करीब 55 प्रतिशत अधिक है. साल 2014 और 2015 में आतंकी सगंठनों से  जुड़ने वाले युवाओं की संख्या में गिरावट दर्ज की गई थी लेकिन बुरहान वानी की मौत के बाद हुए हिंसक प्रदर्शनों के बाद युवा तेजी से आतंकी संगठनों के साथ जुड़े. केंद्रीय गृह राज्य मंत्री हंसरास गंगाराम अहीर ने संसद में यह जानकारी दी थी कि साल 2015 में 66, 2014 में 53, 2013 में 16, 2012 में 12, 2011 में 23 और 2010 में 54 युवक उग्रवादी बने थे.