4 साल से गैरहाजिर रहे आईपीएस को योगी सरकार ने गोरखपुर का नया अतिरिक्त महानिदेशक (एडीजी) बनाया है. मीडिया में खबर आते ही विपक्षी पार्टियों ने सरकार पर जम कर हमला बोला है. बता दें की सरकार ने उत्तर प्रदेश में कई IPS अफसरों का तबादला किया है. इन तबादलों से कई विवाद भी खड़े हो गए हैं.न्यूज़ 18 के मुताबिक विवाद की वजह 1992 बैच के यूपी कैडर के ऑफिसर दावा शेरपा हैं. दार्जिलिंग के रहने वाले शेरपा को जल्द ही गोरखपुर में अतिरिक्त महानिदेशक (एडीजी) के रूप में पदभार ग्रहण करेंगे. गोरखपुर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का गृह नगर भी है. विवाद की सबसे बड़ी वजह शेरपा का पिछला कार्यकाल बताया गया है.
आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार शेरपा 2008 से 2012 तक सेवा से अनुपस्थित थे. उन्होंने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (वीआरएस) के लिए आवेदन किया था और वो सीतापुर में अपनी कमांडेंट, 2 बटालियन पीएसी की पोस्टिंग के दौरान लंबी छुट्टी पर थे. हालांकि राज्य के गृह विभाग ने शेरपा के आवेदन को स्वीकार नहीं किया. क्योंकि शेरपा ने वीआरएस के लिए योग्य होने की शर्त, 20 साल की सर्विस पूरी नहीं की थी.
अपने सर्विस से अनुपस्थित होकर वह अपने घर दार्जिलिंग चले गए और गोरखालैंड की राजनीति के एक चर्चित चेहरे के रूप में उभरे. बाद में उन्होंने बीजेपी जॉइन कर लिया और पार्टी के राज्य सचिव बन गए. कथित रूप से शेरपा दार्जिलिंग से 2009 का लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते थे. लेकिन बीजेपी ने जसवंत सिंह को टिकट दे दिया. इसके बाद उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया और अखिल भारतीय गोरखा लीग में शामिल हो गए.
राजनाथ सिंह के करीबी माने जाने वाले शेरपा 2012 में उत्तर प्रदेश में सक्रिय पुलिस सेवा में वापस लौटे. उन्हें 2013 में डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल (डीआईजी) और बाद में इंस्पेक्टर जनरल के पद पर पदोन्नत किया गया. उनकी हालिया पोस्टिंग क्राइम ब्रांच-सीआईडी डिवीजन में एडीजी के रूप में हुई थी.
पुलिस सेवा और राजनीति के बीच की अदला-बदली पर आपत्ति जताते हुए पूर्व पुलिस प्रमुख विक्रम सिंह ने उन्हें कहा था कि सर्विस के दौरान आप ऐसी चीजें नहीं कर सकते. अगर आप वास्तव में राजनीति करना चाहते हैं तो पुलिस की वर्दी उतार दें और पूर्णकालिक राजनीति में चले जाएं. कोई भी किसी को रोक नहीं रहा है. लेकिन एक ही समय में आप आईपीएस ऑफिसर और राजनीति नहीं कर सकते. आपने खुद को एक विशेष संगठन और एक विशिष्ट राजनीतिक विचारधारा के साथ पहचान लिया है. इसलिए, आपको अखिल भारतीय सेवा में होने का कोई हक नहीं है.
शेरपा की पोस्टिंग पर सवाल उठाते हुए समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता सुनील सिंह सजन ने कहा कि बीजेपी उन ऑफिसर्स को चुन रही है जो उनकी विचारधारा को साझा करते हैं. भाजपा उन अधिकारियों को सभी महत्वपूर्ण पदों पर जगह देने की कोशिश कर रही है जो किसी न किसी तरह पुलिस बल में पार्टीलाइन के साथ समझौता कर रहे हैं. वो विपक्षी दलों की आवाज को दबाना चाहते हैं. लेकिन मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि वो समाजवादी पार्टी की आवाज को दबा नहीं पाएंगे.
समाजवादी पार्टी के अलावा कांग्रेस भी शेरपा की पदोन्नति पर विरोध जता रही है. कांग्रेस ने मांग की कि शेरपा को तुरंत पद से हटाया जाए और इस पर जांच की मांग की कि आखिर बीजेपी के लिए काम करने के बाद उन्होंने पुलिस फोर्स दोबारा कैसे जॉइन कर लिया. कांग्रेस प्रवक्ता जिशान हैदर ने कहा कि मुख्यमंत्री भगवाकरण एजेंडे पर काम कर रहे हैं.
सौजन्य- न्यूज़ 18