सिर्फ डेढ़ घंटे की तेज़ बारिश, जिसने भोपाल की साहित्यिक और इल्मी दुनिया को उजाड़ दिया। शनिवार शाम को हुई बारिश में शहर की मशहूर इकबाल लाइब्रेरी में इतना पानी भर गया कि अनगिनत किताबें तबाह हो गईं।
लाइब्रेरी सड़क से नीचे एक बेसमेनट हॉल में है, लेकिन पानी दरवाज़े या खिड़की से नहीं बल्कि लाइब्रेरी के नीचे से जाने वाले जल निकासी चैंबर से आया। ‘द वायर उर्दू’ के मुताबिक, चैंबर्स एकदम से फट पड़े और थोड़ी ही देर में पूरे हॉल में पानी भर गया। जिससे कुछ ही देर में वहां मौजूद ज़्यादातर किताबें तबाह हो गईं।
थोड़ी सी बारिश में हुई इस तबाही ने लाइब्रेरी प्रबंधन के सामने अब यह सवाल खड़ा कर दिया है कि किस तरह किताबों को बचाया जाए। क्योंकि सिर्फ डेढ़ घंटे की बारिश में इतना बड़ा नुकसान हुआ है।
इस नुकसान के तो अनुमान में ही कई दिन लग जाएंगे। एक-एक करके अलमारी खोलना और भीग चुकी किताबों को निकालकर उन पुस्तकों का चयन करना जिन्हें एक्सपर्ट्स की मदद से किसी तरह बचाया जा सकता है, इसमें काफी लंबा समय लगेगा। फिलहाल कई अलमारियों में किताबों का यह हाल है कि हाथ लगाने से ही पन्ने अलग हो रहे हैं।
लाइब्रेरी व्यवस्थापक रशीद अंजुम कहते हैं कि अब कोशिश यह है कि लाइब्रेरी को ऐसी जगह ले जाया जाए जहां भविष्य में किताबें सुरक्षित रह सकें। हज़ारों किताबें क्षतिग्रस्त हैंI
बता दें कि इकबाल लाइब्रेरी एक गैर सरकारी संस्था है, जहां कर्मचारी अपनी मर्ज़ी से बेहद कम पैसों में या फिर अक्सर तो बिना वेतन के ही काम करते हैं। स्वर्गीय उमर अंसारी ने तो इस लाइब्रेरी के लिए खुद को ही समर्पित कर दिया था।
अल्लामा इकबाल के नाम पर रखी गई यह लाइब्रेरी शीश महल के सामने स्थित है। शीश महल वह ऐतिहासिक इमारत है जहां अल्लामा इक़बाल भोपाल आगमन के दौरान रुके थे। भोपाल रियासत के आखरी नवाब हमीदुल्लाह खान ने अपने शासनकाल में अल्लामा इक़बाल को उनकी बीमारी के दिनों में यहां रहने के लिए आमंत्रित किया था।
शाम के वक्त यहां की रौनक देखने काबिल होती है। पूरे भारत की मशहूर साहित्यिक पत्रिकाएं इस लाइब्रेरी में आती हैं। इकबाल लाइब्रेरी जिसकी स्थापना 1939 में हुई, आज न सिर्फ भोपाल बल्कि मध्य भारत की सबसे बड़ी लाइब्रेरीज़ में से एक है। लेकिन इस लाइब्रेरी की अपनी मुश्किलें भी हैं। इस लाइब्रेरी को बेहद कम अनुदान मिलता है और स्थायी सदस्य जो फीस देते हैं उनकी तादाद बहुत कम है।
इस लाइब्रेरी में तकरीबन 80 हजार किताबें हैं, जिसमें सबसे ज्यादा उर्दू की किताबें हैं। पुरानी पत्रिकाओं की फ़ाइलें भी इस लाइब्रेरी में मौजूद हैं। उर्दू के अलावा, अरबी, फारसी, हिंदी, अंग्रेजी और संस्कृत की किताबें भी यहां मौजूद हैं। एक तरफ साहित्यिक पुस्तकें हैं तो दूसरी ओर इब्ने सफ़ी से लेकर अकरम इलाहाबादी और अपने दौर के तमाम मशहूर लेखकों की नावेल्ज़ यहाँ मौजूद हैं।
नाटककार रफी शब्बीर का कहना है कि हजारों किताबें तबाह हो गईं। ‘किताबों के अलावा अपने दौर की मशहूर पत्रिका खिलौना, शमा से लेकर आजकल जैसी पत्रिकाओं की फ़ाइलें, सब भीगकर खराब हो गईं। यह एक ऐसा नुकसान है जिसकी भरपाई नहीं हो सकती।