खमभाट 15 फ़रवरी : मर्कज़ी वज़ीर मुख़तार अब्बास नक़वी ने कहा है कि आईएसआईएस (ISIS)और अलक़ायदा जैसी दहश्तगर्द तन्ज़ीमों का किसी मज़हब से कोई ताल्लुक़ नहीं है लेकिन वो महज़ अपने फ़ायदे के मुताबिक़ मज़हब का इस्तेमाल किया करते हैं।
नक़वी ने कहा कि दहश्तगर्दी से लाहक़ चैलेंजों से निमटने के लिए समाज का रोल हुकूमत से कहीं ज़्यादा एहमीयत का हामिल है। मुमलिकती वज़ीर पार्लीमान उमूर-ओ-अक़लियती उमूर मुख़तार अब्बास नक़वी गुजरात के इलाक़ा खमभाट में सरकारी शाह मीराँ हज़रत पीर मीराँ सय्यद अली वली के 796 वें उर्स मुबारक के मौके पर बैन-उल-अक़वामी सूफ़ी कांफ्रेंस से ख़िताब कर रहे थे।
इस कांफ्रेंस में एक क़रारदाद मंज़ूर करते हुए मज़हब के बे-जा इस्तेमाल के ज़रीये इन्सानी इक़दार को हलाक करने वाली ताक़तों की मज़म्मत की गई। मुख़तार अब्बास नक़वी ने कहा कि हम समझना चाहते कि दहश्तगर्दी आईएसआईएस और अलक़ायदा जैसी दहश्तगर्द तंज़ीमें इन्सानियत और आलमी तरक़्क़ी-ओ-ख़ुशहाली की दुश्मन हैं।
मुख़तार अब्बास नक़वी ने कहा कि मज़हबी तंज़ीमें और क़ाइदीन अगर दहश्तगर्दी-ओ-इंतिहापसंदी के ख़िलाफ़ मुत्तहिद होजाएं तो ये दहश्तगर्द अनासिर अपने मक़ासिद में कामयाब नहीं हो सकें गे।