मुंबई: मुंबई सेशन कोर्ट ने आतंकवादी संगठन आईएसआईएस के कथित सदस्य अदीब मजीद की रिहाई के लिए आवेदन को आंशिक स्वीकार करते हुए एपीए की धारा 38 और 20 को इस मुकदमे से हटाने का आदेश दिया है.
बसीरत ऑन लाइन के अनुसार, राष्ट्रीय जांच एजेंसी एनआईए ने आरोपी अदीब मजीद को आईएस के कथित सदस्य होने के आरोप में गिरफ्तार किया था. अदीब मजीद के खिलाफ गैर कानूनी गतिविधियों में लिप्त रहने के आरोप हैं.
जांच एजेंसी की ओर से लगाए गए आरोपों का खंडन करते हुए आरोपी अदीब मजीद ने बचाव पक्ष के वकील मुबीन सोलकर के माध्यम से सेशन कोर्ट के समक्ष आवेदन देते हुए रिहा करने की अपील की थी जिस पर सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष के वकील सोलकर ने अदालत को बताया कि मेरे मुवक्किल के खिलाफ (यूएपीए) जैसी गैर कानूनी गतिविधियों में लिप्त रहने के कानून लागू हो ही नहीं सकता, आरोपी पर आतंकवादी संगठन में शामिल होने का आरोप नहीं लगाया जा सकता क्योंकि आरोपी की गिरफ्तारी के समय तक इस संगठन को सरकार ने आतंकवादी संगठन होने की (अधिसूचना) घोषणा जारी नहीं की थी. दिफाई वकील ने अदालत को कहा कि अगर किसी प्रतिबंधित संगठन में सक्रिय रहने के आरोप में एक आरोपी की गिरफ्तारी होती है तो ही इस आरोपी के खिलाफ गैर कानूनी गतिविधियों में लिप्त रहने के प्रावधान लागू होता है. लेकिन इस मामले में उसके विपरीत पुलिस ने मेरे मुवक्किल के खिलाफ झूठे सबूतों का इस्तेमाल किया है.
इसके साथ ही बचाव वकील मुबीन सोलकर ने अदालत को बताया कि जब मेरे मुवक्किल की गिरफ्तारी ही अवैध है तो इस मामले में लगाए प्रावधानों को लागू करना भी गलत ही है. और इस मामले में उसके खिलाफ लगाए गए यूएपीए की धारा 20 जो मेरे मुवक्किल पर आतंकवादी संगठन में सदस्यता का आरोप है वह भी गलत है. इसके साथ ही बचाव वकील मुबीन सोलकर ने अदालत से अदीब मजीद को इस मामले से बरी करने की अपील की. इस मामले में सरकारी वकील ने कहा कि इस धारा का मतलब प्रतिबंधित संगठन में शामिल होने की योजना बनाना है लेकिन इस मामले में मुलजिम पर प्रतिबंधित संगठन में शामिल होने का आरोप लगाया जा चुका है ऐसे में उक्त धारा लागू करने की जरूरत नहीं है. इसके साथ ही सरकारी वकील ने अदालत के समक्ष अन्य धाराओं के तहत आरोपी के खिलाफ अदालती कार्रवाई चलाने पर जोर देते हुए बचाव पक्ष के वकील की याचिका खारिज करने की मांग की.
दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद मुंबई सेशन कोर्ट ने आतंकवादी संगठन आईएस के कथित सदस्य अदीब मजीद की मुक्ति के लिए आवेदन आंशिक स्वीकार करते हुए एपी की धारा 38 (प्रतिबंधित संगठन में शामिल की योजना बनाना) और 20 ( आतंकवादी संगठन में सदस्यता के लिए) को इस मुकदमे से हटाने का आदेश दिया. उक्त प्रावधानों को इस मुकदमे से हटाने के अदालत के आदेश के बाद अब अदीब मजीद के खिलाफ यूएईपी की धारा 18 (आपराधिक गतिविधियों में शामिल होना) और 16 ( आतंकवादी कार्रवाई के लिए मुजरिमाना गतिविधियों में शामिल होना) के साथ आईपीसी की धारा 125 (देश के शांति नुकसान पहुंचाने के लिए देश के खिलाफ दुश्मनी करना) के तहत मुकदमे की कार्रवाई चलाई जाएगी.