लंदन: संगीत की दुनिया में 25 साल पूरा करने वाले ऑस्कर और ग्रैमी अवॉर्ड विजेता संगीतकार एआर रहमान का कहना है कि उनके धार्मिक आस्था ही उनके लिए कैरियर बनाने और तरक़्क़ी करने में मददगार साबित हुए हैं। अपनी उम्र के 20 के दशक में इस्लाम धर्म अपनाने वाले रहमान फिलहाल लंदन में ‘कल आज और कल’ नामक कार्यक्रम के लिए प्रतिबद्ध हैं।
उन्होंने गुरुवार को लेखक के साथ एक इंटरव्यू में बताया कि उनके नज़दीक इस्लामी आस्था का मतलब ऐसी ज़िन्दगी बसर करना है,जिसमें सादगी और इंसानियत की कुंजी हासिल हो।
संगीतकार एआर रहमान ने कहा कि इस्लाम धर्म एक सागर की तरह है, जिसमें कई मसलक हैं, जिनकी संख्या 70 से भी ज़्यादा है। इसलिए मैं इस्लाम के सूफी फलसफा का पैरोकार हूं, जिसकी बुनियाद आपसी मोहब्बत पर क़ायम है। आज जो कुछ भी हूँ वह केवल इसी सूफी फलसफा की वजह से हूँ, और मेरा परिवार भी इसी के पैरोकार हैं।
बेशक बहुत सारे (नकारात्मक) घटनायें हो रहे हैं, लेकिन मुझे लगता है कि उनमें से ज़्यादातर राजनीतिक प्रकृति के हैं।
उन्होंने ने सूफी फलसफा के बारे में कहा कि सार्वजनिक परंपराएं , कव्वाली और रूहानियत से लैस यह गैर हिंसक इस्लामी आस्था है। जो हाल व कैफियत की परंपराओं पर आधारित है। यह धर्म के गूढ़ पहलू को दर्शाता है।
लगभग 50 वर्षीय संगीतकार दो ऑस्कर और दो ग्रैमी पुरस्कार विजेता हैं, इन्हें गोल्डन ग्लोबस से भी नवाज़ा गया है । इन्होंने 160 फिल्मों के लिए संगीत दी है, जिनमें ऑस्कर विजेता फिल्म ‘स्लमडॉग मिलेनियर’ और बॉलीवुड फिल्म लगान और ताल शामिल हैं।