‘इस्लाम तलवार की जोर से नहीं बल्कि अखलाक़ से फैला है’

रोपेंदेही। नेपाल में मुसलमानों की संख्या बहुत मुख्तसर है, आंकड़े के मुताबिक मुसलमानों की संख्या लगभग चार फीसद पहुंचता है, इस्लाम की प्रचार प्रसार का जरिया मदरसे और मरकज़ हैं, दावत के लिए जरूरत के मद्देनजर छोटे बड़े जलसे आयोजित होते रहते हैं। जिससे दिलों को इस्लामी किरणों से रौशन किया जाता है।

Facebook पे हमारे पेज को लाइक करने के लिए क्लिक करिये

जलसे की शुरुआत इस्लामी संस्कृति के मुताबिक कुरान मजीद की तिलावत से हुआ। जलसे में शेख नसीम अहमद मदनी ने अपने ख़िताब में कहा कि एकता में स्थितरता है जो स्थिर नहीं वह आँधियों की चपेट में आकर चूर चूर हो जाते हैं।

जलसा के अध्यक्ष शेख शमीम अहमद नदवी ने कहा कि यहूद व नसारा इस्लाम को तोड़ना चाहते हैं, वह अपने मकसद की प्राप्ति के लिए कार्यरत हैं। आज आलिमे इस्लाम की हालत निहायत चिंताजनक है, जिसकी ताज़ा मिसाल हालिया इस्लामी समुदाय के अंदर भरोसे की कमी है, जिसकी बड़ी वजह आपसी मतभेद और एकता की कमी है।