फिलिस्तीन जो की अरब देश है, लेकिन कई देश फिलिस्तीन को एक देश के रूप में नहीं मानते हैं, फिलिस्तीनियों की जमीन पर इजराइल के कब्जे की वजह से इस क्षेत्र के लोग आज भी इजराइल के अत्याचारों का सामना करते है। इज़राइल और फिलिस्तिनियों के बीच एक संघर्ष है. यह अरब-इजराइल संघर्ष की एक लम्बी कड़ी है।
इजराइल के सैनिक हर रोज कब्जाए वेस्ट बैंक में हर रोज फिलिस्तीनियों को यातनाएं देते रहते हैं। अभी हाल ही में हो रहे ग्रेट मार्च ऑफ़ रिटर्न में इजराइल के सैनिकों ने 40 से ज्यादा फिलिस्तीनियों को मौत के घाट उतार दिया, जिसमे कई नाबालिक भी शामिल हैं।
पिछले साल अमेरिका के राष्ट्रपति ने यह घोषणा की थी की वह इजराइल की राजधानी के रूप में जेरुसलम को मान्यता देंगे, जिसके बाद से फिलिस्तीनियों ने ट्रम्प और इजराइल की निंदा की और सड़कों पर विद्रोह प्रदर्शन करने के लिए उतरे।
जहां अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और इसरायली पीएम नेतान्याहू के झंडे जलाए गए। ट्रम्प ने कहा है की वह 14 मई को अपनी एम्बेसी जो की अभी तेल अवीव में स्थित है, को जेरुसलम में स्थान्तरित करेंगे।
अलबवाबा वेबसाइट की खबरों के मुताबिक इस्लामी सहयोग संगठन (ओआईसी) के कार्यकारी समिति के एक प्रतिनिधिमंडल ने ब्रुसेल्स में ईयू विदेश नीति प्रमुख फेडेरिया मोगेरिनी के साथ संयुक्त राज्य अमेरिका के निर्णय पर -यरूशलेम को इजरायल की राजधानी के रूप में पहचानने और तेल अवीव से वहां दूतावास को स्थानांतरित करने- के निर्णय पर बातचीत की।
ओआईसी के महासचिव यूसेफ अल-ओथाइमीन ने कहा कि यह वार्ता यू.एन. प्रस्तावों और अरब शांति पहल के आधार पर इजरायल के कब्जे को खत्म करने के लिए राजनीतिक प्रक्रिया शुरू करने के प्रयासों के लिए वैश्विक समर्थन को बढ़ाने के लिए की गयी।
उन्होंने दुनियाभर के देशों से फिलिस्तीन की राजधानी के रूप में पूर्व जेरुसलम को एक देश के रूप में पहचानने और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के लिए फिलिस्तीन के प्रवेश का समर्थन करने के लिए आग्रह किया।
उन्होंने फिलीस्तीनी लोगों के लिए अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। ओआईसी की कार्यकारी समिति में सऊदी अरब, मिस्र, तुर्की, गाम्बिया, उजबेकिस्तान, आइवरी कोस्ट, बांग्लादेश और संगठन के महासचिव शामिल हैं।