2018 में इजरायल ने 189 फलस्तीनियों को क़त्ल कर युद्ध अपराध किया- संयुक्त राष्ट्र

संयुक्त राष्ट्र संघ का कहना है कि 2018 में इस्राईली स्नाइपरों ने 189 फ़िलिस्तीनी बच्चों, महिलाओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं और पत्रकारों की हत्या करके युद्ध अपराध किया है।

पार्स टुडे डॉट कॉम के अनुसार, राष्ट्र संघ ने अपनी जांच में पाया है कि इस्राईली सेना ने ग़ज्ज़ा सीमा पर फ़िलिस्तीनियों के ग्रेट रिटर्न मार्च में शामिल आम लोगों को निशाना बनाया, जबकि इस्राईली सैनिक स्पष्ट रूप से देख सकते थे कि वे बच्चों, महिलाओं, नर्सों और पत्रकारों को निशाना बना रहे हैं।

गुरुवार को राष्ट्र संघ के जांच पैनल की रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि फ़िलिस्तीनी प्रदर्शनकारियों को जब गोली मारी गई, उस वक़्त वह किसी के लिए कोई ख़तरा उत्पन्न नहीं कर रहे थे।

रिपोर्ट में कहा गया है, इस्राईली सैनिकों ने अंतरराष्ट्री मानवाधिकारों और मानवीय क़ानून का उल्लंघन किया है। इनमें से कुछ ने मानवता के ख़िलाफ़ युद्ध अपराध अंजाम दिए हैं। इस्राईली विदेश मंत्री इस्राईल काट्ज़ ने संयुक्त राष्ट्र संघ की रिपोर्ट को झूठा और निराधार बताया है।

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ग़ौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद ने एक जांच कमीशन का गठन किया था, जिसने 30 मार्च 2018 से 31 दिसम्बर 2018 तक फ़िलिस्तीनी प्रदर्शनकारियों के ख़िलाफ़ इस्राईली सेना के अत्याचारों की जांच की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रदर्शन स्थल पर इस्राईली स्नाइपरों ने 6000 से अधिक निहत्थे प्रदर्शनकारियों को निशाना बनाया।

जांच कमीशन को इस बात के पुख़्ता सुबूत हासिल हुए हैं कि इस्राईली स्नाइपरों ने बच्चों, पत्रकारों, नर्सों और विकलांगों पर सीधे गोलियां चलाई हैं, जबकि पीड़ितों ने किसी के लिए कोई ख़तरा उत्पन्न नहीं किया था। संयुक्त राष्ट्र कमीशन ने इस्राईल के उन दावों को भी ख़ारिज कर दिया जिसमें कहा गया था कि प्रदर्शनकारी आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रदर्शनकारी आम नागरिक थे, जो अपनी राजनीतिक मांगों के लिए शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे। जांच कमीशन का कहना है कि उसने 325 पीड़ितों, प्रत्यक्षदर्शियों और अन्य सूत्रों से इंटरव्यू किया और 8,000 दस्तावेज़ों की जांच की।