इस्तांबुल। अमेरिका की ओर से अधिकृत बैतूल मुक़द्दस (यरूशलेम) को इजराइल की राजधानी के रूप में स्वीकार करने के मुद्दे पर कल यहां पचास से अधिक मुस्लिम देशों की शिखर सम्मेलन हुआ, जिसमें अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के निर्णय की निंदा करते हुए अंतरराष्ट्रीय समुदाय से पूर्वी यरूशलेम को फिलिस्तीन की राजधानी के रूप में स्वीकार करने की अपील की गई है। सऊदी अरब और पाकिस्तान सहित 50 इस्लामी देशों के प्रमुखों ने इस्तांबुल, तुर्की में हुए शिखर सम्मेलन में भाग लिया।
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शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने वाले तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोगन ने सम्मेलन में अपने भाषण में इजराइल को एक कब्जा करने वाला और आतंकवादी राज्य बताते हुए कहा कि मुसलमानों के खिलाफ अत्याचार को अब हम बर्दाश्त नहीं कर सकते।
उन्होंने कहा कि इज़राइल ने दुसरे क्षेत्रों पर कब्जा कर अपने क्षेत्र का विस्तार किया है, जबकि फिलीस्तीन का क्षेत्र काफी कम हो रहा है। उन्होंने कहा कि अमेरिका के इस कदम के बाद वाशिंगटन ने इजराइल-फिलिस्तीनी संघर्ष को खत्म करने की कोशिशों में मध्यस्थ के रूप में अपनी भूमिका को खत्म कर दिया है।
श्री एर्दोगन ने इस्लामिक सहयोग संगठन की बैठक के अंत में कहा “अब से अमेरिका अमेरिका के लिए इजरायल और फिलिस्तीन के मध्यस्थ होने का सवाल पैदा नहीं होता है।” उन्होंने इस मामले को संयुक्त राष्ट्र में उठाने की वकालत की। वहीं मुस्लिम देशों के इस्लामी सहयोग समूह (ओआईसी) ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि अमेरिका के यरूशलेम को इजराइल की राजधानी स्वीकार करने का निर्णय गलत है।