ISRO का 8वां नैविगेशन सैटलाइट लॉन्चिंग असफल

बेंगलुरु: इसरो एक बार फिर एक बड़ी छलांग की कोशिश की जो नाकामयाब रही। पीएसएलवी सी-39 उपग्रह आज तकनीकी गड़बड़ी की वजह से अपनी कक्षा में स्थापित होने से ठीक पहले विफल हो गया.  सात बजे प्रक्षेपण करने के बाद प्रक्षेपण यान – पीएसएलवी सी-39 इस उपग्रह को कक्षा में स्थापित होना था। इसे आंध्रप्रदेश में श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपित किया गया।  यह प्राइवेट सेक्टर का पहला सैटेलाइट है और पूरी तरह से आठवां देसी सैटेलाइट है जिसे आज इसरो ने लॉन्च किया इस बार एक ऐसे सैटेलाइट को लॉन्च किया गया जिसे पूरी तरह से देश के निजी क्षेत्र ने मिलकर तैयार किया था। इसरो ने इस बार 41वां सैटेलाइट भेजने की तैयारी की थी, लेकिन यह विफल रही। बताया जा रहा है कि सैटेलाइट से हीटशील्ड अलग नहीं हुई और पीएसएलवी का लॉन्च बेकार गया.

इससे पहले आईआरएनएसएस-वनए पर लगे तीन रूबीडियम एटॉमिक क्लॉक ने काम करना बंद कर दिया था। यह उपग्रह दिशा सूचक उपग्रह आईआरएनएसएस-वनए को बैकअप देगा। इसरो के अनुसार 1400 किलोग्राम से अधिक वजन वाले इस उपग्रह के निर्माण व परीक्षण में पहली बार छह छोटे व मझोले उद्योग सीधे तौर पर जुड़े हुए हैं।

बता दें ‘इंडियन रीजनल नेवीगेशन सैटेलाइट सिस्टम ‘ (आईआरएनएसएस) एक स्वतंत्र क्षेत्रीय प्रणाली है जिसका विकास भारत ने अमेरिका के जीपीएस, रूस के ग्लोनास तथा यूरोप द्वारा विकसित गैलिलियो के मुताबिक किया है.

यह प्रणाली भूभागीय एवं समुद्री नौवहन, आपदा प्रबंधन, वाहनों पर नजर रखने, बेड़ा प्रबंधन, हाइकरों तथा घुमंतुओं के लिए नौवहन सहायता और चालकों के लिए दृश्य एवं श्रव्य नौवहन जैसी सेवाओं की पेशकश करती है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका नाम ‘‘नाविक’’ (एनएवीआईसी-नेवीगेशन विद इंडियन कॉन्स्टेलेशन) रखा था.

भारत के आठवें नौवहन उपग्रह-आईआरएनएसएस-1एच- का सफल प्रक्षेपण अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत के लिये एक नये युग का सूत्रपात कर सकता था क्योंकि पहली बार उपग्रह के संयोजन और प्रक्षेपण में सक्रिय रूप से निजी क्षेत्र को लगाया गया था. इससे पहले निजी क्षेत्र की भूमिका उपकरणों की आपूर्ति तक सिमित थी.