3 साल की बेटी छोड़ मां का साध्वी बनना कितना सही है?

आखिरकार अनामिका ने अपनी तीन साल की बच्ची को छोड़कर दीक्षा ले ली । अनामिका के पति ने पहले ही 100 करोड़ की संपति छोड़कर दीक्षा ले ली थी । दीक्षा लेने के लिए इस जोड़े को कई कानूनी अड़चनों का भी सामना करना पड़ा।

मध्य प्रदेश के नीमच में यह घटना काफी चर्चा में है। अनामिका के पति सुमित ने पहले दीक्षा ले ली थी। उसके बाद अनामिका ने भी करीब चार हजार से अधिक लोगों को साक्षी रखते हुए साध्वी की शपथ ली। अब वह साध्वी श्रीजी के नाम से जानी जाएंगी। अनामिका की दीक्षा के दौरान उसकी 2 साल 10 माह की बेटी इभ्या को परिजनों की देखभाल में राजस्थान के कपासन में ही रखा गया।

पति पत्नी द्वारा दीक्षा लेने के लिए बेटी का परित्याग करने की बात पर दोनों का देशभर में विरोध हुआ । सुमित ने 23 सितम्बर को श्री साधुमार्गी जैन आचार्य रामलाल से दीक्षा ली। उन्हें सुमित मुनि नाम दिया था, लेकिन अनामिका को महज आज्ञा पत्र मिल सका था ।
अनामिका दीक्षा रुकने के बाद चाइल्ड राइट्स प्रोटेक्शन के वकील ललित चंद्र से राय ली गई । उन्होंने कहा कि दंपती ने अपनी बेटी का गोदनामा लिख दिया है। इसलिए अब अनामिका को दीक्षा लेने से नहीं रोका जा सकता।

सुमित व अनामिका अपनी बेटी इभ्या के लिए पहले ही वसीयत लिख चुके हैं। कानूनी तौर पर बेफिक्र होने के बाद अमानिका के पिता अशोक चंडालिया व संघ पदाधिकारियों ने रविवार को आचार्य रामलाल मसा से चर्चा की। उन्होंने अनामिका की दीक्षा के लिए मंजूरी दे दी।

कानूनी अड़चन दूर कर सोमवार सुबह सूरत में ही आचार्यश्री ने हजारों लोगों की मौजूदगी में अनामिका को दीक्षित किया। सुबह करीब 8.15 बजे केश मुंडन और सफेद वस्त्र धारण का सामयिक वाचन के साथ दीक्षा की प्रक्रिया पूर्ण हुई। अब उन्हें समाज में साध्वी अनाकार श्रीजी नाम से जाना जाएगा।