जमात-ए-इस्लामी हिंद को उम्मीद, बाबरी मस्जिद मामले में सुप्रीम कोर्ट से मिलेगा न्याय!

नई दिल्ली। जमाअत इस्लामी हिन्द के केंद्रीय कार्यालय में मासिक प्रेस सम्मेलन को संबोधित करते हुए जमाअत के अध्यक्ष (अमीर) मौलाना सैयद जलालुद्दीन उमरी ने तीन तलाक पर कहा कि अधिकतर इस्लामी विद्वान एक बार में तीन तलाक को स्वीकार करते हैं] लेकिन कोई व्यक्ति यह कहता है कि उसके तीन तलाक का इरादा नहीं था बल्कि एक ही की नीयत थी तो उसे एक ही माना जाएगा। अमीर जमाअत ने सरकार द्वारा तीन तलाक में किए जाने वाले संशोधन की आलोचना करते हुए कहा कि यह संविधान द्वारा प्रदत्त हमारी शरीयत] पर्सनल लॉ अैर मौलिक अधिकार में दखलअंदाज़ी है।

बाबरी मस्जिद के मुद्दे पर अपना विचार व्यक्त करते हुए उन्होंने उम्मीद जतायी कि बाबरी मस्जिद मामले में हमें इंसाफ मिलेगा और फैसला हमारे पक्ष मे आएगा। बाबरी मस्जिद विध्वंस की 25वीं बरसी पर मौलाना उमरी ने अपना पक्ष स्पष्ट करते हुए कहा कि जमाअत इस्लामी हिन्द के साथ साथ ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड मानवाधिकार संगठन और सभी इंसाफ पसंद अवाम बिना किसी धर्म और संप्रदाय विभेद के यह प्रतिज्ञा करते हैं कि बाबरी मस्जिद का पुनः निर्माण और उसे बहाल करने के शांतिपूर्ण और कानूनी आंदोलन को जारी रखा जाएगा। 6 दिसंबर भारतीय इतिहास का अत्यंत काला दिन था।

अफसोस यह है कि आज भी मस्जिद के विध्वंसक बेखौफ और आज़ाद घूम रहे हैं और हकूमत उन्हें गिरफ़्तार करने का साहस नहीं कर सकी है। लिब्राहन कमीशन ने अपनी रिपोर्ट जून 2009 को ही पेश कर दिया था] मगर आजतक इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। मामला अब सर्वोच्च न्यायालय में विचाराधीन है। उन्होंने उम्मीद जतायी कि फैसला मुसलमानों के पक्ष में आएगा।

जमाअत फिर से अपना पक्ष स्पष्ट करना चाहती है कि देश के मुसलमान] मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और सभी धार्मिक और मुस्लिम संगठन इस बात पर एकमत हैं कि बाबरी मस्जिद का मसला अदालत के ज़रिए ही हल होना चाहिए और अदालत जो फैसला करेगी वह सब के लिए मान्य होगा।

गुजरात विधान सभा चुनाव के विषय पर उन्होंने अपना विचार व्यक्त किया कि विगत सालों में गुजरात के सभी प्रमुख सामाजिक और आर्थिक क्षेत्र प्रभावित हुए हैं। यहां तक कि वह देश के कई राज्यों से पीछे चल रहा है। निरर्थक नोटबंदी योजना और जल्दीबाजी में जीएसटी को लागू किये जाने से पूरे देश खासतौर पर गुजरात की अर्थव्यवस्था और उद्योग को काफ़ी नुसान पहुंचा है।

जमाअत इस्लमी हिन्द समझती है कि अपने मताधिकार का इस्तेमाल पूरी जिम्मेदारी के किया जाना चाहिए। इसका इस्तेमाल लोकतंत्र की सुरक्षा के लिए तथा मानवता और देश के बड़े हित में करना चाहिए। जमाअत अपनी चुनावी नीति के अनुरूप उन उम्मीदवारों को समर्थन देगी जो सांप्रदायिकता के खिलाफ] लोकतांत्रिक मूल्यों के संरक्षक और साफ-सुथरी छवि वाले हों। जमाअत इस्लामी हिन्द गुजरात में अपने इकाई जमाअत से परामर्ष के बाद जल्द ही अपने समर्थित उम्मीदवारों की सूची जारी करेगी।