जामिया मिल्लिया इस्लामिया ने रविवार को अपना 97वां स्थापना दिवस मनाया। इस दौरान जामिया में दो दिवसीय तालीमी मेले का शुभारंभ हुआ। सोमवार तक चलने वाले इस मेले में शिक्षा, खान-पान, मनोरंजन, खेल, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग, साहित्य आदि से संबंधित लगभग 66 स्टाल लगाई गई हैं। इस बार वायु सेना और नौसेना ने भी अपनी स्टाल लगाईं हैं।
जामिया में हर साल मनाए जाने वाले तालीमी मेले में इस बार पुस्तक मेला, फोटोग्राफी प्रदर्शनी, फिल्म उत्सव, मुशायरा, प्रेमचंद, मंटो और असमत चुगतई की लघु कथाओं का नाटकीय पठन और नुक्कड़ नाटक आकर्षण के मुख्य केंद्र रहे। मेले में छात्रों की ओर से मुशायरा, कव्वाली, बिजनेस क्विज, जेनेरिक क्विज, वाद-विवाद, बैत बाज़ी, फूड फेस्टिवल, पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता और शास्त्रीय एवं पाश्चात्य संगीत आदि कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है।
जामिया के कुलपति प्रोफेसर तलत अहमद ने कहा कि यह देश का अकेला ऐसा विश्वविद्यालय है जो दूरस्थ शिक्षा के जरिए देश की तीनों सेनाओं- वायु सेना, नौसेना और थल सेना के लिए बीए और एमए के डिग्री पाठ्यक्रम चला रहा है। इससे 16-17 साल में सेना में भर्ती होकर 30-35 साल की उम्र में रिटायर हो जाने वाले सैनिकों एवं अधिकारियों को वैकल्पिक नौकरियां मिलने में बड़ी मदद मिल रही है।
जामिया की कुलाधिपति और मणिपुर की राज्यपाल डॉ. नजमा हेपतुल्ला ने वीडियो संदेश के जरिए उद्घाटन समारोह को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि आज जामिया अंतरराष्ट्रीय स्तर का विश्वविद्यालय बन गया है। इसके संस्थापकों का सपना पूरा हुआ। उन्होंने कहा कि उनकी ख्वाहिश है कि जामिया में मेडिकल कॉलेज खोलने में वह कुछ मदद कर सकें। वहीं, जामिया के कुलपति तलत अहमद ने भी जामिया मिल्लिया में मेडिकल कॉलेज खोले जाने के प्रयासों का जिक्र करते हुए इसमें जल्द कामयाबी मिलने की उम्मीद जताई।
जामिया के तालीमी मेले में जामिया के छात्रों और शिक्षकों के अलावा जामिया नगर के रिहायशी इलाकों के लोग भी बड़ी संख्या में आए। इस अवसर पर छात्रों की ओर से खान-पान सामग्री से लेकर अपने-अपने विभागों से जुड़ी विभिन्न किस्म की दिलचस्प स्टॉल लगाई गईं हैं जिनमें खूब भीड़ रही।
जामिया मिल्लिया इस्लामिया की स्थापना असहयोग आंदोलन के समय ब्रिटिश शिक्षा के खिलाफ भारतीय जरूरतों के अनुरूप शिक्षा देने वाली शैक्षिक संस्थाएं शुरू करने के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के आह्वान पर हुई थी। 29 अक्तबूर 1920 को मौलाना अली जौहर की अगुवाई में यह विश्वविद्यालय स्थापित हुआ।