फारुक अब्दुल्ला ने कहा- ‘हम राम मंदिर के खिलाफ़ नहीं, लेकिन…?

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला ने देश में उठे राम मंदिर विवाद को लेकर मोदी सरकार पर बड़ा हमला बोला है।

उन्होंने केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा, ‘आज जब हम धर्मनिरपेक्ष भारत की तरफ देखते हैं तो आप वैसे मुद्दे के लिए नहीं लड़ रहे हो जो इस देश के लोगों के लिए सबसे बड़ी समस्या है. आप राम के लिए लड़ रहे हैं।

क्या राम स्वर्ग से आएंगे और किसानों को कुछ ऐसा देंगे जिससे उनका भला हो जाएगा। या क्या उनके आने के बाद एक दिन बेरोजगारी इस देश से लुप्त हो जाएगी। ये लोग सिर्फ लोगों को मूर्ख बना रहे हैं।

इससे पहले फारूक अब्दुल्ला ने बुलंदशहर हिंसा को लेकर मुख्यमंत्री योगी पर निशाना साधा था। फारूक ने कहा था कि जहां इस तरह का मामला हुआ और वहां का सीएम कबड्डी का मैच देख रहा था, वोट मांग रहा था. इस्पेक्टर के परिवार को किसने देखा था।

उन्होंने कहा, ‘ जब नेहरु ने झंडा फहराया तो कभी सोचा नहीं था कि देश को इस तरह से बांटा जाएगा। आज जो देश में हुकूमत आई है वो देश को बांटने का काम कर रही है।

फारूक ने बीजेपी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा, ‘क्या राम को वोट चाहिए, क्या अल्लाह को वोट चाहिए वोट तो हम लोगों को चाहिए। आज की सरकार ने जो वादे किए थे वो पूरा नहीं कर पाई, देश में जीएसटी, नोटबंदी की जिससे कई कंपनियां और लोग बर्बाद हो गए।

उन्होंने ये भी कहा, ‘आज की सरकार ने पिछले साढ़े चार साल में क्या किया सिर्फ नफरत फैलाया है। जम्मू में भी हिंदू-मुस्लिम के नाम पर लोगों को बांटने की कोशिश की गई।

आज सरकार ने अलग-अलग संस्थानों में RSS के लोगों को रखा जो उन्हें खराब कर रही है। आज किताबों में नेहरू और इंद्रा गांधी को गाली दी जा रही है लेकिन उन्होंने जो कुर्बानी दी है वो मैं कभी नहीं भूल सकता। इन्होंने जो सरदार पटेल का स्टेच्यू बनाया वो भी कांग्रेस के थे बीजेपी और आरएसएस के नहीं थे।

योगी आदित्यनाथ के ओवैसी को बाहर निकालने के बयान पर फारूक ने कहा कि पहले इतिहास पढ़ें फिर ऐसी बात करें। उन्होंने कहा कि इस देश को चलाना है तो टॅालरेंस पर चलना पड़ेगा जिस तरह से वाजपेयी RSS के होने के बावजूद चलें।

कश्मीर की राजनीति पर फारूख ने कहा, ‘जम्मू-कश्मीर में सरकार बनने के बाद 5 महीने से खरीद-फरोख्त की कोशिश कर रहे थे लेकिन ऊपरवाले का करम है कि उससे पहले ही असेंबली भंग हो गई। राम माधन ने भी बड़ी कोशिश की पर कर नहीं पाए।