जम्मू: डर के साए में ज़िन्दगी बसर कर रहे रोहिंग्या मुसलमानों ने PM मोदी से की भावुक अपील

म्यांमार से भागे लगभग छह हजार रोहिंग्या मुसलमान जम्मू-कश्मीर में रह रहे हैं। लेकिन इनको लेकर अब राजनीति शुरू हो रही  है।इन्हें लगातार हिंदुत्ववादी और व्यापारिक संगठनों की तरफ से मारने पीटने की धमकी मिल रही है और उन्हें भारत छोड़कर जाने के लिए कहा जा रहा है। विरोध करने वालों का कहना है कि रोहिंग्या मुसलमान जम्मू-कश्मीर के लोगों के अधिकारों और सुविधाओं का फायदा उठा रहे हैं जो उनके साथ अन्याय है।

वहीं दूसरी तरफ जम्मू में रोहिंग्या मुसलमानों का कहना है कि वे लोग काफी डरे हुए हैं कि कहीं उन्हें यहां भी यातना का शिकार न होना पड़े। वे कहते है कि वो लोग भी अपने देश और घर लौटना चाहते। या फिर कोई देश उन्हें शरण देने को तैयार हो तो वहां जाने को तैयार हैं। लेकिन उन्होंने इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भावुक अपील की है कि वे उन्हें सुरक्षित म्यांमार तक पहुंचाने की व्यवस्था कर दें।

रोहिंग्या मुसलमानों ने जम्मू में अपने विरोध करने वाले से कहा है कि वे उनके देश म्यांमार पर उन्हें बराबरी का अधिकारी दिलवाने के लिए वहां की सरकार पर दबाव डालें।

बीबीसी ने एक खबर प्रकाशित की है जिसमें उसने रोहिंग्या मुसलमानों की बस्ती के मदरसा तुल महजरीन, सुंजवान में पढ़ाने वाले मौलाना अली ओल्हा के हवाले से लिखा है कि उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री से अपील अपनी आजादी की अपील की है।

मौलाना अली ओल्हा ने प्रधानमंत्री मोदी से कहा है, “हमलोग भी आजाद रहना चाहते हैं और दूसरे समुदाय के साथ शांति से रहना चाहते हैं। हम अपने देश भी लौटना चाहते हैं, अगर हमें वहां मूलभूत अधिकार मिल जाएं। अगर भारतीय प्रधानमंत्री हमें सुरक्षित हमारे घर तक पहुंचा सकें तो हम उनके आभारी रहेंगे।”

रोहिंग्या समुदाय के लोगों का कहना है कि म्यांमार में उन्होंने रक्तपात देखा है। उन्होंने अपनी महिलाओं और बच्चों के साथ होते यातनाओं को देखा है और फिर से वैसी हिंसा का सामना नहीं करना चाहते।

रोहिंग्या मुसलमानों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की है कि वे म्यांमार के नेताओं से बातचीत करें और उनकी सुरक्षा को सुनिश्चित करें। वे अपने देश लौटकर आजादी के साथ रहना चाहते हैं।

जम्मू में बीते नौ साल से रह रहे अब्दुल गफूर जैसे रोहिंग्या मुसलमानों का कहना है कि भारत सरकार ने उन्हें इतने सालों तक रहने दिया। अब अगर भारत सरकार म्यांमार में हमारे अधिकारों के लिए बात करे तो वे लौट जाएंगे।