बीते दिनों झारखंड में बच्चा चोरी की अफ़वाह के बाद मारे गए मुस्लिम युवकों के केस में अब यह बात सामने आ चुकी है कि उग्र भीड़ ने उन्हें पुलिस के सामने मारा।
इस बात का खुलासा घटना से जुड़े वीडियो से हुआ है। फिलहाल इस मामले में कई पुलिसकर्मियों को सस्पेंड भी कर दिया गया है। इस बीच पुलिस वालों पर एक और गंभीर आरोप लगे हैं।
घटना के एक चश्मदीद का दावा है कि वहां मौजूद पुलिस और प्रशासन के लोग अगर थोड़ी सख़्ती दिखाते तो सभी लोगों की जान बच सकती थी।
कुछ लोगों का तो यह भी आरोप है कि वहां मौजूद कुछ पुलिसवाले तो ये कहते भी नज़र आए कि अगर ये बच्चा चोर हैं तो इन्हें मारो।
फिलहाल पुलिस ने इस मामले में एफ़आईआर दर्ज कर ली है और अब तक 18 लोगों को गिरफ़्तार किया गया है।
झारखंड के गृहसचिव ने कहा है कि प्रशासन इन मामलों में सख्त कार्रवाई करेगा। उन्होंने कहा कि हालात अब सामान्य हैं। पीड़ित परिवारों को 2 लाख रुपये मुआवजे का ऐलान किया गया है।
इस घटना के प्रत्यक्षदर्शी मुर्तज़ा ने बताया कि जो लोग मारे गए वो हमारे परिवार से ही जुड़े थे और उसके घर में छिपे हुए थे।
उन्होंने बताया, ‘4 बजे एक गाड़ी आई, जिसमें मेरा रिलेटिव अब्दुल हलीम था। मैं नमाज पढ़कर घर गया। कुछ समय बाद 100-150 लोगों की भीड़ आई. वो हम लोगों से पूछने लगे कि ये बच्चा चोर की गाड़ी है क्या। मैंने कहा कि कोई ऐसी बात नहीं है। वो बोले कि इन्हें हमको सौंप दो, लेकिन हमने मना कर दिया। कुछ देर के बाद बहुत बड़ा समूह आया। वो सब हमें खींचते हुए और घसीटते हुए ले गए।’
उन्होंने आगे बताया कि थाना प्रभारी ने काफी कोशिश की, लेकिन उनको भी पीटा गया और मेरे ऊपर भी हमला हुआ। सिर में चोट आई है। हमारे रिश्तेदार डरकर भागने लगे। सबने उन्हें पकड़कर मार दिया।
एसपी तक खबर गई थी। डीएसपी ने जब आकर एक्शन लिया तो पब्लिक भाग गई, लाठीचार्ज हुआ। प्रशासन को आने में देरी हो गई, अगर समय से आते तो चारों बच जाते।