झारखण्ड हाईकोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में राज्य में पाॅपुलर फ्रंट आॅफ इंडिया की गतिविधियों पर राज्य सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंध को अनुचित बताते हुए उसे रद्द कर दिया है।
कोर्ट ने प्रतिबंध से जुड़े सभी मामलों को भी खारिज कर दिया है। सरकार ने एक जनआंदोलन पर आतंकवाद से संबंध सहित कई गंभीर आरोप लगाए थे लेकिन सरकार कोर्ट के सामने कोई भी सबूत पेश नहीं कर सकी।
इस फैसले को केवल पाॅपुलर फ्रंट आॅफ इंडिया से जोड़कर नहीं देखा जा सकता। बल्कि इसे अभिव्यक्ति की आज़ादी और संगठन बनाने की आज़ादी के संवैधानिक अधिकारों की हिफाज़त में एक महत्वपूर्ण न्यायिक हस्तक्षेप के रूप में हमेशा याद रखा जाना चाहिए।
यह फैसला विरोध की आवाज़ों को दबाने और उन्हें रोकने की केंद्र व राज्य सरकारों की कोशिशों के लिए एक खुली चुनौती है। झारखण्ड में ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी संगठन ने सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंध पर कानूनी तरीके से जीत हासिल की है।
झारखण्ड राज्य सरकार के खिलाफ पाॅपुलर फ्रंट की कानूनी लड़ाई को मिली अनोखी जीत यक़ीनन न्याय के लिए जारी सभी लोकतांत्रिक संघर्षों को हौसला देती है। इससे न्यायपालिका पर जनता के भरोसे को काफी मज़बूती मिलेगी।
पाॅपुलर फ्रंट के चेयरमैन ई. अबूबकर, महासचिव एम. मुहम्मद अली जिन्ना, राष्ट्रीय कार्यकारी परिषद के सदस्य ई.एम. अब्दुर्रहमान और केरल प्रदेश अध्यक्ष नासिरूद्दीन एलामरम ने इस सम्बन्ध में प्रेस वार्ता को संबोधित किया।