अभिव्यक्ति की आज़ादी के नाम पर PM मोदी ने गुजरात दंगो के बाद गौरव यात्रा निकाली थी: जिग्नेश मेवाणी

डीयू के रामजस कॉलेज में एबीवीपी की गुंडागर्दी के खिलाफ निकाले गए प्रोटेस्ट मार्च में आज गुजरात में ऊना आन्दोलन का नेतृत्व कर चुके जिग्नेश मेवानी ने भी हिस्सा लिया। इस दौरान उन्होंने मोदी सरकार की नीतियों पर जमकर निशाना साधा। जिग्नेश ने कहा कि यह संघर्ष मनुसमृति को मानने वाले और इसकी काट करने वाले प्रगतिशील लोगो के बीच है।

जिग्नेश ने आगे कहा कि मैं मानता हूँ शेहला राशिद, उमर ख़ालिद और कन्हैया कुमार मेरे हीरो हैं। मैं आज यहा इसलिए खड़ा हूँ क्योंकि मैं मानता हूँ कि अगर नजीब यहा होता तो वो इस मंच पर मेरे साथ यहा खड़ा होता। और अगर नागपुर के द्रोणाचार्य के कहने पर यहा बैठे दुर्योधन द्वारा रोहित वेमुला को ना मारा जाता वो भी आज यहा हमारे बीच होता।

जिग्नेश ने कहा, ‘अभिव्यक्ति की आज़ादी पर सवाल खड़ा करने वालो संघियो से में पूछना चाहता हूँ कि वो कैसी अभिव्यक्ति की आज़ादी थी जब 2002 के गुजरात दंगो के बाद 25000 मुसलमानों का क़त्ले आम करके मोदी गौरव यात्रा पर निकले थे और रिलीफ कैंप में रह रहे मुसलमानों को कहा था कि ये तो बच्चे पैदा करने की फैक्ट्री है।’

दलित नेता ने दिल्ली पुलिस को चुनौती देते हुए कहा कि जो गुनाह दर्ज़ करना है, कर लो। आज में इस मंच से कहूँगा कि नरेंद्र दामोदर दास मोदी मेरे देश के माथे पर लगी कलंक की काली टिली है। सभी से संघियो के खिलाफ एकजुट होने की अपील करते हुए जिग्नेश ने कहा कि ब्राह्मणवाद और पूंजीवाद के सम्बन्धो को समझ कर सभी दलित, आदिवासी, किसान, मजदूर और छात्र को एक मंच पर आकर गुजरात में 2017 और साथ ही 2019 में इन्हें मज़ा चखाना होगा।

सेमिनार में शेहला राशिद औए उमर ख़ालिद को ना बोलने देने पर जिग्नेश ने कहा कि वे लोग शेहला रशीद, उमर ख़ालिद और कन्हैया कुमार को इसलिए चुप कराना चाहते है क्योंकि ये उनसे सवाल करते हैं कि कुतिया, गधी माता नहीं तो गाय ही माता क्यों?

ये लोग उमर ख़ालिद को इसलिए नहीं बोलने देते क्योंकि ये मनुसमृति और सनातन धर्म का एजेंडा लागू करना चाहते हैं।