बीते साल गुजरात में ऊना आन्दोलन का नेतृत्व कर चुके जिग्नेश मवानी इन दिनों दलितों के शक्ति सम्मलेन ‘आजादी कूच’ को लेकर खासा चर्चा में हैं।
हालाँकि यह सम्मलेन ऊना कांड की पहली बरसी 12 जुलाई को मेहसाणा में होने वाले था लेकिन आख़िरी वक़्त पर गुजरात सरकार ने अनुमति रद्द कर दी।
हालाँकि गुजरात सरकार की ओर से आयोजन की पहले स्वीकृति देना और आयोजन से दो दिन पहले ही इसे वापिस रद्द कर देना देशभर में दलित और बहुजन समाज में आक्रोश कारण बनता जा रहा है।
इस बीच जिग्नेश ने फेसबुक पर ऊना आन्दोलन के दौरान लगे नारों की तरह आज़ादी कूच में भी लगने वाले नारों का ज़िक्र किया है.
क्या लिखा है जिग्नेश ने-
पिछले साल उना आंदोलन के दौरान नारा दिया था : गाय की पूंछ तुम राखो हमें हमारी ज़मीन दो…
इस बार आज़ादी कूच के दौरान नारा देंगे :
‘ संघर्ष का जंडा लहरायेंगे, जमीन का कब्ज़ा दिलायेंगे’
‘ कर दो बाय बाय, मोदी हो या गाय’
‘जमीन पे पट्टा देते है, उसे गुजरात मॉडल कहते है’
इससे पहले जिग्नेश ने कहा था कि दलितों की भारी भीड़ उमड़ने की आशंका के चलते गुजरात सरकार डर गई है। इसलिए आखिरी समय पर सरकार ने इसकी अनुमति को रद्द किया है।