जिग्नेश की जीत बड़गांव के उन मतदाताओं की जीत है ,जिन्होंने देश के प्रधानमंत्री पर विस्वास करने की बजाए एक नये ऊर्जावान युवा संघर्षवादी ,सिद्धान्तवादी पर विस्वास किया ,जो लोग बड़गांव में नहीं गए उनको यह समझना मुश्किल है कि भाजपा क्या 2 षड्यंत्त्र रचे ।अगर कोई ऐसे केवल दलित,मुस्लिम ,ठाकुर समीकरण की जीत बतलाता है तो मेरी सहमति नहीं होगी।
मैंने देखा कि जिग्नेश हर सभा में हिन्दू मुस्लिम एकता की बात करते थे ,उनके शब्दों में वे हर जगह कैंची चलाते है में जोड़ूंगा ,आप सिलाई मशीन पर मुझे वोट दे।
जिस दिन जिग्नेश के लिए कांग्रेस ने सीट छोड़ने की घोषणा की थी था पूरे छेत्र के मतदाताओं ने हाथो हाथ लिया था ,जिस तरह उनकी सभाओं में समाज के हर तबके के हर उम्र के मतदाता उमड़ते थे ,उसको देखकर में 15 दिन पहले ही पोस्ट लिख दिया था।जीत पक्की होने के बारे में।
बड़गांव के मतदाताओं को विशेष तौर पर इसलिए बधाई कि उन्होंने देश को एक नया नेता दिया है ,जो 50 किलोमीटर दूर बड़नगर से नेता बने मोदी जी से दो दो हाथ करेगा ,जिग्नेश ने यह सभा में यही कहा था ।
2 बार विधायक रहने के कारण यह कह सकता हूँ कि उन्होंने आज के बाद समय की दृष्टि से पहली प्राथमिकता बड़गांव को देनी होगी,उनके समर्थक पूरे देश में हैं वे चाहेंगे कि वे राष्ट्रीय स्तर पर समय दें ,दोनो के
बीच संतुलन बनाना होगा ,बड़गांव में अपना संगठन खड़ा करना होगा ।जिन तबकों का उन्हें प्रतिनिधि माना जा रहा है ,उससे आगे बढ़कर बड़गांव के हर नागरिक का प्रतिनिधित्व करना होगा ।आम मतदाताओं को उपलब्ध होना उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी।
कांग्रेस ने सीट छोडी तभी जिग्नेश विधायक बन सके ,यह राहुल गांधी के स्तर पर लिया गया बड़ा नीतिगत फैसला था ।इसके पीछे की सोच थी कि जो कुछ जमीन पर कांग्रेस से छूट गया ,जिनकी आवाज़ कोंग्रेस नहीं बन सकी ,जिन्होने इन मुद्दों पर संघर्ष किया उनको जगह छोडी जाए ,राहुल गांधी की इस सोच के अच्छे नतीजे आए है।
जिग्नेश का चुनाव कई स्तरों पर लड़ा गया ।देश भर के साथियों से जे एन यू के पूर्व अध्यक्ष मोहित पांडेय जी ने संपर्क किया लगभग हर राज्य के जनांदोलनों के साथी नैतिक समर्थन देने ,प्रचार करने गांव2 घूमे ।खेडउत नेता सागर राबरी के साथ पूरी युवा टीम दिन रात भिड़ी रही। सबसे घिनोनी भूमिका बी एस पी की रही जिसने पूरी दम और संसाधन लगाकर जिग्नेश पर निचले स्तर पर उतरकर व्यक्तिगत हमला बोला।
देश को एक नया सामाजिक न्याय और आर्थिक न्याय के लिए एकसाथ संघर्ष करने वाला जनसंघर्षों के नेता मुबारक। हार्दिक पटेल ,अल्पेश और जिग्नेश तीन युवाओं ने मोदी जी की चूलें हिला दी।
काश तीनो एक साथ आकर नया विकल्प दे पाते तब गुजरात की राजनीति को नई दिशा मिल सकती थी।दलित आंदोलन को एक ऐसा नया चेहरा मिला है जिसको लेकर वह नई ऊंचाइयों को छू सकता है।