AMU ओल्ड बॉयज एसोसिएशन कोलकाता ने कहा- ‘जिन्ना हमारी विचारधारा का हिस्सा नहीं हैं’

कोलकाता। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की ओल्ड बॉयज़ एसोसिएशन के 72 सदस्यों ने जिन्ना की तस्वीर पर चर्चा करने के लिए मुलाकात की और सोमवार को एएमयूओबीए कोलकाता के सदस्यों ने राष्ट्रपति, यूपी और बंगाल के राज्यपाल और सीएम को एक ज्ञापन भेजा।

एएमयूओबीए कोलकाता के अध्यक्ष मोहम्मद अताउल्ला खान ने ‘गुंडों’ को गिरफ्तार नहीं करने और उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के लिए स्थानीय प्रशासन के पक्षपातपूर्ण रवैये की निंदा की। एसोसिएशन ने छात्रों द्वारा शांतिपूर्ण विरोध पर “लाठीचार्ज” की निंदा की।

एएमयूओबीए (कोलकाता) सचिव वाक्कर ए खान जिला प्रशासन से मिलने और छात्रों का विरोध करने के लिए अलीगढ़ में होंगे। खान ने कहा कि जिन्ना इतिहास का एक हिस्सा हो सकते हैं लेकिन कहीं भी हमारी विचारधारा का हिस्सा नहीं हैं। हमने कभी उसका समर्थन नहीं किया ही नहीं।

एएमयू समेत सभी केंद्रीय विश्वविद्यालय यूजीसी के अंतर्गत आते हैं। भारत का राष्ट्रपति को अंतिम अधिकार है कि तस्वीर वहां होनी चाहिए या नहीं। हिन्दू युवा वाहिनी के कार्यकर्ताओं द्वारा परिसर में की गयी हिंसा वहां गेस्ट हाउस में ठहरे पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी पर हमले की साजिश का हिस्सा थी।

एक अभूतपूर्व घटना में वाहिनी के कार्यकर्ता गेस्ट हाउस तक पहुंच गये थे। यह एक पूर्वनियोजित षड्यंत्र था। एएमयू ओल्ड बॉयज एसोसिएशन कोलकाता के सचिव वक़ार अहमद खान ने अपने बयान में कहा कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की जो धरोहर है, वो हमेशा से सेक्युलरिजम है।

इस युनिवर्सिटी से स्नातक होने वाला पहला छात्र हिन्दू है। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में सभी धर्मों के बच्चे आकर तालीम हासिल करते हैं, इसमें हिन्दू, मुस्लिम सिख, ईसाई सभी शामिल है। आपको मिसाल के तौर पर बता दूं, जब हमलोग अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में पढ़ते थे तो कभी अहसास नहीं हुई कौन हिन्दू है, कौन मुस्लिम है या कोई और धर्मों से संबंध रखता है। सभी एक साथ रहा करते थे।

वक़ार अहमद खान ने कहा कि ‘हिन्दू युवा वाहिनी’ या और भी ‘हिन्दू संगठनों’ ने जिस प्रकार इस युनिवर्सिटी की छवि को बिगाड़ा और नुकसान पहुंचाने का काम किया है, ये बहुत ही निन्दनीय काम है। इस शर्मनाक हरकत का ‘एएमयू ओल्ड बॉयज एसोसिएशन कोलकाता’ सख्त मुखालफत करती है।

गौरतलब है कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के यूनियन हॉल में लगी मोहम्मद अली जिन्ना की तस्वीर पर पिछले कई दिनों से बहस छिड़ी है।

एक पक्ष का तर्क है कि भारत के बंटवारे के लिए जिम्मेदार मोहम्मद अली जिन्ना की तस्वीर किसी शैक्षणिक संस्थान में नहीं होनी चाहिए, वहीं दूसरे पक्ष का तर्क है कि यदि मोहम्मद अली जिन्ना इतिहास का हिस्सा हैं तो उनकी तस्वीर से आपत्ति नहीं होनी चाहिए।

इस बीच, तस्लीमा नसरीन ने ट्वीट करके कहा, ‘न केवल जिन्ना हॉल का नाम बदलकर सूर्य सेन हॉल रखा गया, बांग्लादेश में जिन्ना एवेन्यू का नाम बदलकर बंगाबंधू एवेन्यू रखा गया, जिन्ना कॉलेज का नाम बदलकर टिटुमिर कॉलेज रखा गया। जिन्ना का सम्मान नहीं किया गया।