अभिनेता अनुपम खेर उन लोगों में शामिल हैं जिन्होंने भारत विरोधी नारे लगाने वालों और आतंकवादियों का समर्थन करने वालों की खुलकर निंदा की है। रोहित इ डेविड से बात करते हुए खेर ने बताया कि क्यों विश्वविद्यालयों में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर नियंत्रण की जरूरत है, जिस फ्रीडम ऑफ स्पीच का अरविंद केजरीवाल प्रतिनिधित्व करते हैं वह प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ असहिष्णुता का षडयंत्र है और कैसे जेएनयू स्टूडेंट उमर खालिद एक विशेष कार्ड खेलने की कोशिश कर रहा है।
बिल्कुल, ये ओपन डिबेट की जगहें हैं और यहां बोलने की आजादी भी है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि यहां भारत के खिलाफ नारे लगाए जाएं। यूनिवर्सिटी वे जगहें हैं जहां हम भारत के लिए भविष्य तैयार करते हैं। ये वे युवा हैं जो स्वतंत्र भारत का निर्माण करते हैं, लेकिन ये जगहें यदि कुछ वैसे स्टूडेंट्स का गढ़ बनते हैं जिनके विचार पिछले दिनों जेएनयू में गूंज रहे थे तो मुझे लगता है इसपर हमें ध्यान देने की आवश्यकता है।
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